देश के सबसे अहम नौसैनिक अड्डों में से एक विशाखापट्टनम के नेवल कमांड के मुख्यालय में चीनी हैकर्स ने सेंध लगाकर तीन कंप्यूटरों को हैक कर लिया और सारी अहम जानकारियां चुरा लीं। किसी को भनक लगे बिना कंप्यूटरों में छिपी गुप्त जानकारियां चीन तक पहुंच गईं।सूत्रों के अनुसार नेवी के कंप्यूटरों में हैकिंग का खुलासा जनवरी-फरवरी के महीने में हुआ। उस वक्त जब बंगाल की खाड़ी में नौसेना की बढ़ती मौजूदगी देखकर चीन परेशान था।
भारत की तरफ से पूरा ऑपरेशन विखाशापट्टम नेवल कमांड से ही संभाला जा रहा था। यही वजह है कि जब हैकिंग की बात आई तो सबसे पहला शक चीन पर गया।
सुरक्षा के लिहाज से सेना या नौसेना में कभी भी एक कंप्यूटर को दूसरे से जोड़ा नहीं जाता। कंप्यूटर इंटरनेट से भी नहीं जुड़े होते। यही नहीं कंप्यूटरों में डेटा ट्रांस्फर करने के लिए कोई प्रावधान भी नहीं होता ताकि एक कंप्यूटर का डेटा किसी कीमत पर दूसरे कंप्यूटर या डिवाइस पर न भेजा जा सके। लेकिन नेवल कमांड का डेटा चुराने के लिए चीनी हैकरों ने बेहद शातिराना तरीका निकाला। हैकरों ने ऐसे वायरस रिलीज किए जो चुपचाप कंप्यूटर में दर्ज सारी फाइलों को पेन ड्राइव में कॉपी कर लेते हैं लेकिन कंप्यूटर इस्तेमाल करने वाले को ये पता नहीं चलता कि फाइलें कॉपी हो चुकी हैं।
जांच के दौरान चीन के उन आईपी एड्रेस का भी पता लग गया है जहां ये खुफिया फाइलें भेजी गईं। जांच इस बात की भी हो रही है कि ऐसी पेन ड्राइव नेवी के कंप्यूटर तक कैसे पहुंची जिसमें पहले से वायरस था। शुरुआती जांच में पता चला है कि नेवी के 6 अफसरों ने कंप्यूटर की सुरक्षा में भयानक लापरवाही बरती।नौसेना अब इसका आकलन कर रही है कि जो डेटा चुराया गया है वो कितना संवेदनशील था। दरअसल, विशाखापट्टनम के नेवल कमांड में भारत की पहली परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत के अलावा और भी कई खुफिया प्रोजेक्ट चल रहे हैं। अगर अरिहंत से जुड़ी जानकारी चीनी हैकरों को मिल गई तो ये भारत के लिए बड़ा झटका होगा।
नौसेना हैकिंग कांड के बाद 28 जून को ही प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में एक अहम बैठक बुलाई गई जिसमें रक्षा मंत्री ए के एंटनी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार भी मौजूद थे। सूत्रों की मानें तो बैठक में तय किया गया कि भारत भी हैकरों को सबक सिखाएगा और हमारी वेबसाइटों पर हमला करने वालों की वेबसाइट भी हैक की जाएगी।
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