दिल्ली के जंतर मंतर पर जारी टीम अन्ना के अनशन का आज पांचवां दिन है और आज से अन्ना भी अपनी टीम के साथ अनशन में शामिल हो गए हैं। पिछले चार दिन से टीम अन्ना के सदस्य अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और गोपाल राय अनशन पर बैठे हैं। मजबूत लोकपाल और कैबिनेट के 14 भ्रष्ट मंत्रियों के खिलाफ जांच की मांग को लेकर अन्ना हजारे ने सरकार को चार दिन का वक्त दिया था।
कल चेतावनी का अंतिम दिन खत्म होने के बाद खुद अन्ना हजारे आमरण अनशन पर बैठ गए हैं। अन्ना ने ऐलान किया है कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं होती तब तक उनका अनशन जारी रहेगा। अन्ना ने ऐलान किया है कि उनकी लड़ाई मरते दम तक जारी रहेगी।
अन्ना के अनशन पर बैठते ही डॉक्टरों ने उनका मेडिकल चेकअप किया, उनका ब्लड सैंपल लिया गया है। उनके ब्लड प्रेशर, पल्स रेट और वजन की जांच हुई है। टीम अन्ना के बाकी सदस्यों का भी मेडिकल चेकअप किया गया है। आज रविवार को अन्ना के अनशन पर बैठते ही जंतर मंतर पर समर्थकों की भीड़ जुटना शुरू हो गई है। अनुमान के मुताबिक पांच हजार से ज्यादा समर्थक जंतर मंतर पर जुटे हैं। अन्ना ने कहा कि उनकी लड़ाई मरते दम तक जारी रहेगी। अन्ना की उम्र और उनकी तबीयत को देखते हुए खुद टीम अन्ना नहीं चाहती कि वो अनशन पर बैठें। यही वजह है कि अन्ना के अनशन पर बैठने के ऐलान पर जंतर-मंतर पर मौजूद समर्थकों ने भी अन्ना से अनशन न करने की अपील की लेकिन अन्ना ने एक बार फिर लोगों में जोश भरा और कहा कि जबतक लोकपाल नहीं आ जाता तब तक इस देश की जनता मुझे मरने नहीं देगी।
अन्ना के अनशन पर बैठते ही भले ही भीड़ जुटना शुरू हो गई है लेकिन इस बार के अनशन को मिल रहे कम जनसमर्थन को लेकर कई सवाल भी खड़े हो रहे हैं। पिछले चार दिनों में टीम अन्ना को वैसा जनसमर्थन नहीं मिला है जो पहले के अनशन के दौरान मिला था। ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि क्या सिर्फ अन्ना की वजह से भीड़ जुट रही है? क्या लोगों को टीम अन्ना पर विश्वास नहीं है? क्या आज रविवार की वजह से भीड़ जुट रही है? क्या अन्ना को आगे भी जनसमर्थन मिलेगा? क्या युवाओं में उत्साह कम हो गया है? क्यों इस बार महिलाओं की भागीदारी घट गई है?
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