आय से अधिक संपत्ति मामले में सीबीआई के निशाने पर आईं मायावती को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने मायावती के खिलाफ दायर की गई सीबीआई की एफआईआर की वजह पर ही सवाल खड़े कर दिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीबीआई ने गलत तरीके से यह एफआईआर दर्ज की। इस फैसले से मायावती के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर स्वतः ही रद्द हो जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट ने दरअसल सीबीआई को साल 2000 में सामने आए ताज कॉरिडोर घोटाले की जांच करने का निर्देश दिया था। इसमें योजना में 17 हजार करोड़ रुपए जारी किए गए थे जिसमें अनियमितता सामने आई थी। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर इसी घोटाले की जांच करनी थी लेकिन सीबीआई की गलती थी कि उसने इस मामले को गलत समझ लिया और माया के खिलाफ एक दूसरी ही एफआईआर दर्ज कर दी। कानूनी प्रावधान ऐसा करने की इजाजत नहीं देता।
ताज कॉरिडोर मामले के अंतर्गत साल 2000 के अगस्त महीने में 17 हजार करोड़ रुपए रिलीज किए गए थे। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक जाच इसी मामले की करनी थी न कि मायावती के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति मामले की। 2007 में यूपी गवर्नर से माया के खिलाफ जांच का आदेश न मिलने पर सीबीआई ने केस बदल दिया और इसे आय से अधिक संपत्ति का मामला बना दिया। इसके बाद सीबीआई ने साल 1995 से लेकर साल 2003 के बीच मायावती की आय की जांच शुरू कर दी। इसमें उनके परिवार के लोगों, रिश्तेदारों की संपत्ति की जांच और इनकम टैक्स रिटर्न की जांच की गई। लेकिन अब कोर्ट के फैसले के बाद मायावती के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला खत्म माना जाएगा।
बीएसपी नेता सुधींद्र भदौरिया ने फैसले के बाद कहा कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला मायावती के खिलाफ साजिश रचने वालों के गाल पर तमाचा है। मायावती के खिलाफ हुआ अन्याय आज जगजाहिर हो गया। माया की संपत्ति पर भदौरिया ने कहा कि वो इटावा से हैं और इसी इलाके से ही माया को कार्यकर्ताओं ने लाखों का चंदा दिया। यह चंदा मिशन के लिए, पार्टी के लिए दिया गया। ऐसे में सत्ता के दौरान धन कमा लेने जैसी बात निरर्थक है। बीएसपी के वरिष्ठ नेता सतीश चंद्र मिश्रा ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया। मिश्रा ने इस मामले को तत्कालीन बीजेपी सरकार की साजिश बताया। 9 साल बाद मिले न्याय पर मिश्रा ने कहा कि इससे विरोधियों को न्याय मिल गया। लेकिन इस बीच मायावती की जो भी मानहानि हुई उसकी भरपाई नहीं हो सकेगी।
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