सुप्रीम कोर्ट ने 1984 के सिख विरोधी दंगों के सिलसिले में कांग्रेस के नेता सज्जन कुमार के खिलाफ चल रहे मुकदमे पर बुधवार को रोक लगा दी है। न्यायमूर्ति पी सदाशिवम और न्यायमूर्ति बीएस चौहान की खंडपीठ ने सज्जन कुमार की याचिका पर निचली अदालत को इस मामले में 27 जुलाई तक कार्यवाही नहीं करने का निर्देश दिया है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने तीन जुलाई को सज्जन कुमार की याचिका पर सुनवाई के दौरान निचली अदालत के आदेश पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था। हाईकोर्ट में 27 जुलाई को ही सज्जन कुमार की याचिका पर आगे सुनवाई होने की संभावना है।
सज्जन कुमार विभिन्न जांच आयोगों के समक्ष सिख विरोधी दंगों की गवाह जगदीश कौर के बयान और हलफनामे का अपने बचाव के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं। केंद्रीय जांच ब्यूरो ने हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सज्जन कुमार की याचिका का जोरदार तरीके से विरोध किया। जांच ब्यूरो का तर्क था कि यह निचली अदालत में चल रहे मुकदमे की सुनवाई में विलंब करने का तरीका है, लेकिन न्यायालय जांच ब्यूरो की इन दलीलों से संतुष्ट नहीं हुआ और उसने निचली अदालत में चल रही कार्यवाही पर रोक लगाने का आदेश दे दिया।
न्यायाधीशों ने हाईकोर्ट से आग्रह किया कि सज्जन कुमार की याचिका पर तेजी से सुनवाई की जाए। निचली अदालत ने दो जून को सज्जन कुमार की याचिका खारिज करते हुए कहा था कि गवाह जगदीश कौर के न्यायिक आयोगों के समक्ष बयान को किसी भी उद्देश्य के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।
सज्जन कुमार का कहना था कि शिकायतकर्ता और मुख्य गवाह कौर के शपथ पत्र और बयान को जिरह के लिए इस्तेमाल करने की अनुमति दी जानी चाहिए। कौर ने दंगे की जांच करने वाले न्यायिक आयोगों में ये बयान दिए थे। दिल्ली के पूर्व सांसद ने अपनी अर्जी में कहा था कि सीबीआई के अभियोजक आरएस चीमा ने 12 जुलाई 2010 को अदालत से कहा था कि जीटी नानावटी आयोग और रंगनाथ मिश्रा आयोग के समक्ष दिए गए कौर के बयान और हलफनामे का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता क्योंकि उनमें विरोधाभास है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें