बिहार के कुछ जिलों में एक बार फिर सूखे का अंदेशा बना हुआ है. बारिश के लिए विख्यात आषाढ़ का महीना बीत गया और सावन आ गया है, लेकिन राज्य के कुछ इलाकों को छोड़ दिया जाए तो अब तक आसमान पर काले मेघ देखने को नहीं मिले हैं.
मौसम विभाग के अनुसार, बिहार में अब तक सामान्य से 44 प्रतिशत कम बारिश हुई है. मौसम विभाग का कहना है कि 31 जून तक बिहार में सामान्य तौर पर 155 से 160 मिलीमीटर बारिश होनी चाहिए थी, लेकिन अभी तक मात्र 90 मिलीमीटर बारिश हुई है. मौसमविदों का मानना है कि राज्य में अमूमन पांच से 10 जून तक मानसून आ जाता था, परंतु इस वर्ष अब तक मानसून की झमाझम बारिश नहीं हुई है.
मानसून के रूठ जाने के कारण किसानों के माथे पर भी चिंता की लकीरें दिखने लगी हैं. कृषि विभाग के एक अधिकारी के अनुसार, बारिश न होने के कारण बिहार की मुख्य फसल धान के उत्पादन में गिरावट आएगी. बारिश न होने से खरीफ की 25 प्रतिशत फसल पहले ही खराब हो चुकी है.
राज्य में धान की रोपनी का समय बीत रहा है, जबकि किसान धान के बिचड़े भी खेतों में नहीं डाल पाए हैं. जिन किसानों ने खेत में बिचड़े डाले हैं, उन्हें भी अब बिचड़ों के सूखने का डर सता रहा है. राज्य में अब तक करीब 52 प्रतिशत बिचड़े ही गिराए जा सके हैं. विभाग के अनुसार राज्य में इस वर्ष 2,85,010 एकड़ क्षेत्रफल में धान का बिचड़ा लगाने का लक्ष्य है, जबकि सभी जिलों में जून महीने तक 1,50,876 एकड़ में ही बिचड़े गिराए जा सके हैं.
भागलपुर, बांका, शेखपुरा और लखीसराय में बिचड़े गिराने की शुरुआत भी नहीं हो सकी है, जबकि सीतामढ़ी, वैशाली, दरभंगा, कैमूर, रोहतास, भोजपुर में धान के बिचड़े तो गिराए गए हैं, परंतु बारिश के अभाव में उनके सूखने का खतरा उत्पन्न हो गया है. कृषि वैज्ञानिक डॉ़ एस़क़े सिंह कहते हैं कि देर से धान की रोपनी होने से एक तो लागत मूल्य अधिक लगेगा, दूसरे उपज भी कम होगी. बारिश न होने से फसलों में कीड़े लगने का भी अधिक भय रहता है.
राज्य में 2012-13 के लिए धान का उत्पादन लक्ष्य 84.80 लाख टन रखा गया है, जबकि मक्का के लिए 9.70 लाख टन उत्पादन का लक्ष्य है. बारिश की स्थिति देखते हुए अब इन लक्ष्यों को पूरा करना आसान नहीं दिखाई दे रहा है. उधर किसान भी गांवों में पटवन के साधन न होने का रोना रो रहे हैं. औरंगाबाद जिले के देव गांव के किसान रमेश कुमार बताते हैं कि खेत में धान के बिचड़े सूख रहे हैं. पटवन का साधन नहीं है. पम्प चलाने के लिए डीजल की जरूरत है, जो काफी महंगा है. उन्होंने कहा कि किसान बस आसमान ही निहार रहे हैं. राज्य की आपदा प्रबंधन मंत्री रेणु कुमारी कहती हैं कि सूखे की स्थिति से निपटने के लिए सरकार तैयार है. किसानों को सिंचाई के लिए 20 रुपये प्रति लीटर की दर से राज्य सरकार डीजल अनुदान दे रही है. यह अनुदान 19 जून से 30 अक्टूबर तक तीन सिंचाई के लिए मिलेगा. उनके अनुसार सूखे की स्थिति पर सरकार की नजर है.
वर्ष 2009 में राज्य में 63 मिलीमीटर बारिश हुई थी. तब राज्य सरकार ने पटना, नालंदा, शेखपुरा, भागलपुर, रोहतास, पूर्णिया, भोजपुर, कैमूर, औरंगाबाद, गया सहित 26 जिलों को सूखाग्रस्त घोषित किया था. वर्ष 2010 में 107 मिलीमीटर बारिश हुई थी और पूरे राज्य को सूखा घोषित किया गया था, पिछले वर्ष 207 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई थी और राज्यभर में अच्छी पैदावार हुई थी.
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