बुधवार को उत्तराखण्ड रक्षा मोर्चा के प्रान्तीय कार्यालय राजेश्वरीपुरम हरिद्वार रोड़ देहरादून में हुई बैठक मंे उत्तराखण्ड रक्षा मोर्चा के सूचना प्रौद्योगिकी एवं जनहित योचिका के प्रदेश महामंत्री भार्गव चन्दोला ने उत्तराखण्ड राज्य की दुर्दशा के लिये भाजपा और कांग्रेस के मुख्यमंत्रियों और उनके केन्द्रीय नेताओं को पूरी तरह से जिम्मेदार ठहराया है। पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य को अस्तित्व में आये अभी कुछ ही वर्ष हुए हैं। उत्तराखण्ड के लिए तमाम उत्तराखण्ड वासियों ने आंदोलन चलाया, अनशन किया, भूखे पेट पुलिस की प्रताड़ना का शिकार हुये, जेल गये, जवानों ने गोलियां खाई और तमाम लोगों ने अपने प्राणों की आहूति देवभूमि के सीधे-साधे लोगों के लिए इस आशा के साथ दी कि देवभूमि के लोग जो कि उत्तर प्रदेश में हमेशा उपेक्षित रहे हैं, अलग राज्य के बनने से हमारा विकास भी हमारे पड़ोसी राज्य हिमांचल की तर्ज पर होगा और हम भी हिमांचल वासियों की तरह खुशहाल जीवन व्यतीत करेंगे। मगर अफसोस उत्तराण्ड राज्य के बनते ही गिद्ध रूपी भ्रष्टाचारियों ने उत्तराखण्ड के जल, जंगल, जमीन, रोजगार एवं उद्योग धन्धों पर कब्जा जमा लिया।
उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य भाजपा-कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टीयों के लिए एक ऐसा खिलौना बन गया है कि वह जब चाहे जैसा चाहें इसके साथ वैसा खेल खेल सकंे। ये उत्तराखण्ड का दुर्भाग्य ही है यहां राज करने वाली सरकारों के मुखिया उत्तराखण्ड वासियों की सुविधा के लिए नहीं अपितु अपनी पार्टी के आकाओं और दिल्ली में बैठे नेताओं की सुविधाओं के अनुसार काम करते आये हैं और लगातार वही कर रहे हैं। उत्तराखण्ड की पूरी गतिविधि पर दिल्ली वालों की ऐसी नजर होती है जिस प्रकार किसी जानवर के मरने पर आसमान पर उड़ने वाले गिद्दों की होती है। दोनों ही राष्ट्रीय पार्टियों ने उत्तराखण्ड को ऐसे मुखिया दिये हैं जो उत्तराखण्ड के लिए मजबूत बुनियाद रखने मंेे पूरी तरह नाकाम रहे हैं। प्रत्येक मुखिया का ज्यादातर समय अपने पार्टी के विरोधियों को शान्त करने, अपने हाईकमान को खुश रखने, अपनी कुर्सी को बचाये रखने और अपनों को रेवड़ियां बांटने मंे ही गया है यही कारण है कि प्रदेश में राज करने वाली पार्टी की अस्थिरता का दोनों ही राष्ट्रीय पार्टी के केन्द्रीय नेताओं ने जमकर फायदा उठाया। केन्द्रीय नेताओं ने उत्तराखण्ड के मुखिया से अपने चहेतों और अपने लिए भूमि आवंटन, उद्योग आंवटन, बिजली परियोजना आवंटन, बगानों का आवंटन, लालबत्तियों का आवंटन, खनन का आवंटन, निर्माण कार्यों का आवंटन और नियुक्तियों पर अपनों को जमकर कब्जा दिलवाया है। उत्तराखण्ड की अस्थिरता के लिए दोनों ही राष्ट्रीय पार्टियां पूर्ण रूप से जिम्मेदार है। उन्होंने बहुगुणा सरकार पर आरोप लगाया है कि बहुगुणा सरकार यूपी के भ्रष्ट अधिकारियों को उत्तराखण्ड मंे सलाहकार के पद पर बैठाकर साबित कर रही है कि सरकार के मन में क्या है। सरकार को उत्तराखण्ड में उत्तराखण्ड के मूल निवासियों को अहम जिम्मेदारी देनी चाहिए थी। ताकि वह उत्तराखण्ड को सही दिशा दे सकते नाकि ऐसे लोगों को पदों पर बैठया जाय जोकि अपनी जेबें गर्म करके चलते बनें। उन्होंने कहा उत्तराखण्ड की जनता के साथ लगातार भाजपा और कांग्रेस द्वारा छलावा हो रहा है। चन्दोला ने कहा कि यदि उत्तराखण्ड की जनता पूर्व में हुए चुनाव में क्षेत्रीय पार्टी उत्तराखण्ड रक्षा मोर्चा को वोट डालकर समर्थन करती तो उत्तराखण्ड रक्षा मोर्चा प्रदेश के विकास के लिए मील का पत्थर साबित होती और उत्तराखण्ड को यूं विनाश की ओर न जाने देती। उन्होंने कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाया कि एक तरफ तो कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री लखनऊ में जाकर कहते हैं ‘‘उत्तराखण्ड का पहाड़ी ब्राहमण आया है, भीक्षा दो’’ वहीं दूसरी तरफ सितारगंज के लोगों के पास जाकर कहते हैं कि ‘‘मैं बहुगुणा नहीं बैनर्जी हूं, और मूल रूप से बंगाली हूं ’’ और सितारगंज के बांग्लादेशी शरणार्थियों को भूमिधरी का अधिकार देने का ऐलान करते हैं। प्रदेश महामंत्री भार्गव चन्दोला ने कहा कि उन्होंने उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री से कुछ सवालों के जवाब उनसे उनके ‘‘ईमेल’’ और ‘‘फेसबुक’’ पर भी मांगे हैं मगर अफसोस कि आज तक उनके द्वारा एक भी ईमेल का जवाब नहीं दिया गया।
उन्होंने कहा उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री स्पष्ट करें की वे उत्तराखण्ड की जनता के हितैषी किस रूप में हैं, उत्तराखण्ड में धराशाही हो चुका शिक्षा विभाग, बिजली विभाग, लोकनिर्माण विभाग, खाद्यान एवं आपूर्ति विभाग, पेयजल विभाग, स्वास्थ्य विभाग, कृषि विभाग, आपदा प्रबन्धन विभाग आदि में लगातार उजागर हो रहे भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने में कांग्रेस और पूर्ववर्ती भाजपा सरकार पूरी तरह से नाकाम साबित हुई है। आज की इस बैठक में शामिल होने वाले सभी वरिष्ठ पदाधिकारी, महामंत्री राजेन्द्र सिंह भण्डारी, प्रदेश संगठन सचिव एस0एस0पटवाल, प्रदेश सदस्यता प्रमुख मोहन सिंह रावत, शीशपाल असवाल, महामंत्री परवादून वीरेन्द्र सिंह रावत, हरेन्द्र सिंह रावत, सुरेन्द्र सिंह बिष्ट, सन्तोष, वीरेन्द्र सिंह रावत, केसर बिष्ट आदि उपस्थित रहे।
(राजेन्द्र जोशी)
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