राष्ट्रपति चुनाव की दौड़ में प्रणब मुखर्जी ने अपनी दावेदारी और मजबूत कर ली है। चुनाव आयोग ने पीए संगमा की प्रणब मुखर्जी की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी से संबंधित याचिका खारिज कर दी है। इस याचिका में प्रणब पर लाभ के पद पर रहते हुए चुनाव लड़ने के कारण उनका नामांकन रद्द करने की मांग की गई थी। साथ ही आयोग ने प्रणब मुखर्जी का नामांकन पत्र भी मंजूर कर लिया।
पीए संगमा ने प्रणब मुखर्जी पर लाभ के पद पर रहते हुए चुनाव लड़ने का आरोप लगा उनका नामांकन रद्द करने की मांग की थी। वहीं सरकार की ओर से कहा गया था कि प्रणब ने पहले ही भारतीय सांख्यिकी संस्थान (आईएसआई) के चेयरमैन पद से इस्तीफा दे दिया था और संगमा की शिकायत का कोई कानूनी आधार नहीं है।
संगमा ने राष्ट्रपति चुनाव के निर्वाचन अधिकारी वीके अग्निहोत्री के समक्ष लाभ के पद पर रहने को आधार बनाते हुए प्रणब के खिलाफ सोमवार को लिखित शिकायत दर्ज कराई थी। संगमा और उनके वकील भाजपा नेता सतपाल जैन का दावा था कि प्रणब अब भी भारतीय सांख्यिकी संस्थान के चैयरमैन की हैसियत से लाभ के पद पर हैं। संविधान की धारा 58 और 59 का हवाला देते हुए उनका कहना था कि कोई भी व्यक्ति राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का चुनाव लाभ के पद पर रहकर नहीं लड़ सकता। संगमा के वकील के मुताबिक सोनिया गांधी के लाभ के पद मामले में फंसने के बाद सरकार ने भारतीय सांख्यिकी संस्थान के पद को लाभ का पद माना था और सांसद व विधायकों को इस पद पर बने रहने की छूट दी थी। इसीलिए प्रणब ने तब इस्तीफा नहीं दिया था।
प्रणब मुखर्जी अब भी भारतीय सांख्यिकी संस्थान के चैयरमैन की हैसियत से लाभ के पद पर हैं। संविधान की धारा 58 और 59 के अनुसार कोई भी व्यक्ति लाभ के पद पर रहकर राष्ट्रपति का चुनाव नहीं लड़ सकता। प्रणव का नामांकन रद्द किया जाए।
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