वामदलों ने खाद्य सुरक्षा के सवाल पर आंदोलन का ऐलान किया है। साथ ही केन्द्र सरकार के प्रस्तावित खाद्य सुरक्षा बिल को त्रुटिपूर्ण बताते हुए उसे वापस लेने की मांग की है। वामदलों ने कहा है कि एपीएल व बीपीएल का भेद समाप्त कर सबके लिए जन वितरण प्रणाली की सुविधा बहाल की जाए। सीपीआई, सीपीएम, फारवर्ड ब्लॉक व आरएसपी ने राष्ट्रीय स्तर पर इस मुद्दे को लेकर आंदोलन की रणनीति बनाई है। उसी तर्ज पर बिहार में भी आंदोलन करने का निर्णय लिया गया है।
रविवार को वामदलों के नेताओं ने संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में इसकी घोषणा की। सीपीआई के राजेन्द्र प्रसाद सिंह, यू.एन.मिश्र, चक्रधर प्रसाद सिंह, सीपीएम के सवरेदय शर्मा व फारवर्ड ब्लॉक के वकील ठाकुर ने कहा कि यह आंदोलन गांव स्तर से लेकर राज्य स्तर तक चलाया जाएगा। 17 से 24 जुलाई तक पंचायत स्तर पर राज्यभर में पदयात्राा होगी। इसमें चारों वाम दल के नेता व कार्यकर्ता शामिल होंगे। 25 जुलाई को राज्य के सभी प्रखण्ड कार्यालयों पर जुझारु प्रदर्शन किया जाएगा।
30 जुलाई को सभी जिला समाहरणालयों के समक्ष प्रतिरोध प्रदर्शन होगा और 3 अगस्त को पटना में राज्य स्तरीय प्रतिरोध मार्च आयोजित किया जाएगा। वामदलों की 9 प्रमुख मांगे हैं। नेताओं ने कहा कि केन्द्र सरकार ‘भोजन का अधिकार विधेयक’ वापस ले। प्रत्येक परिवार को अधिकतम दो रुपए प्रतिकिलो की दर से हर महीने 35 किलो अनाज दिया जाए। योजना आयोग द्वारा तैयार गरीबी का बोगस आकलन रद्द किया जाए। बिहार में वास्तविक गरीबों की सही सूची तैयार की जाए। जन वितरण प्रणाली को दुरुस्त किया जाए। जमाखोरी व कालाबाजारी पर रोक लगे और इसमें शामिल व्यक्तियों को कठोर दंड दिया जाए। नेताओं ने कहा कि स्वामीनाथन आयोग की अनुशंसा को लागू करना भी उनकी मांग में शामिल है।
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