पटना में लीज की जमीन पर अपार्टमेंट खड़े करने वालों को राहत मिली है. नगर आयुक्त ने साफ कर दिया है कि ऐसे अपार्टमेंट नहीं टूटेंगे. ऐसे अपार्टमेंट में रहने वाले फ्लैटधारियों से सिर्फ होल्डिंग टैक्स की वसूली की जाएगी. इसके लिए कॉर्मिशयल और रेसिडेंसियल तौर पर टैक्स राशि का निर्धारण होगा.
नगर आयुक्त ने कहा कि आवासीय लीज की जमीन पर अपार्टमेंट का नक्शा पास करने वाले अधिकारियों के खिलाफ जांच की जाएगी. जांच में दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ कार्रवाई होगी. निगम प्रशासन के इस आदेश के बाद राजधानी के 95 अपार्टमेंटों में रहने वाले करीब दस हजार लोगों को राहत मिलेगी.
जानकारी के अनुसार राजधानी के राजेंद्रनगर और श्रीकृष्णापुरी इलाके में कई अपार्टमेंटों का निर्माण लीज की जमीन पर हुआ है तथा कई निर्माणाधीन हैं. पटना क्षेत्रीय विकास प्राधिकार (अब पटना नगर निगम में विघटित) द्वारा बाकायदा इनके नक्शों की स्वीकृति दी गई तथा अनापत्ति प्रमाण पत्र निर्गत किया गया. सरकार द्वारा निर्धारित मानदंडों के आधार पर अपार्टमेंटों का निबंधन भी हुआ. यही नहीं सरकारी बैंकों ने अपार्टमेंट के दस्तावेज पर ऋण भी दिए हैं, लेकिन पिछले महीने नगर निगम द्वारा कराए गए एक सर्वे में खुलासा हुआ कि राजेंद्रनगर इलाके में बने 82 और श्रीकृष्णापुरी इलाके में बने 13 अपार्टमेंट लीज की जमीन पर बने हैं. मसलन आवासीय जमीन की लीज खत्म होने के बाद उसे बिल्डर के साथ बेच दिया गया. इस खुलासे के बाद निगम प्रशासन ने इन अपार्टमेंटों के खिलाफ कार्रवाई की बात कही, जिसके चलते इनमें रहने वाले लोगों में हड़कंप मच गया.
मामला हाइप्रोफाइल होने के बाद सोमवार को नगर आयुक्त पंकज कुमार पाल ने कहा कि ऐसे अपार्टमेंटों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी. उन सबों से सिर्फ होल्डिंग टैक्स वसूला जाएगा. होल्डिंग टैक्स का निर्धारण फ्लैट की व्यावसायिक या आवासीय स्थिति के अनुसार होगा. उन्होंने कहा कि होल्डिंग टैक्स मिलने से निगम को राजस्व का फायदा होगा. नगर आयुक्त ने यह भी कहा कि ऐसे अपार्टमेंटों का नक्शा पास करने वालों की जांच कराई जा रही है. जांच में दोषी पाए गए लोगों के खिलाफ निश्चित रूप से कार्रवाई होगी. नगर पालिका अधिनियम के मुताबिक निगम ने तीन सूत्री रूप-रेखा तय की है. ये तीन श्रेणियां निर्माणाधीन, निर्मित और निर्माण के लिए है. नगर निगम प्रशासन ऐसे सभी लीज पर जमीन लेने वालों को घोषणा पत्र और शपथ-पत्र भेजने की तैयारी कर रहा है. ऐसा निगम अधिकारियों ने बताया कि है कि दो से तीन दिनों के अंदर सभी को घोषणा पत्र पहुंच जाएगा.
नगर निगम के तत्कालीन निगमायुक्त सेंथिल कुमार पर अवैध तरीके से नक्शा पास करने का आरोप लगा था. नक्शा पास करने की एवज में बड़े पैमाने पर धांधली की बात सामने आयी थी. नक्शा पास कर देने के बाद जमीन पर इमारते खड़ी हो गयी, लोगों ने मकान लीज पर लेकर आशियाने बसा लिए. इस संबंध में मामला भी दर्ज हुआ था और वह अब अदालत में लंबित है.
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