चंद्रशेखर का जन्म उत्तर प्रदेश के बलिया ज़िले के इब्राहीमपट्टी गाँव में 17 अप्रैल 1927 को हुआ था. 1950-51 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में एमए करने के बाद वह सामाजिक आंदोलन में कूद पड़े.किसान परिवार में जन्मे चंद्रशेखर छात्र जीवन से ही राजनीति से जुड़ गए थे. उनकी छवि क्रांतिकारी विचारों वाले युवा नेता की थी. उन्हें आचार्य नरेंद्र देव के साथ काम करने का अवसर मिला. वह कुछ समय प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के बलिया ज़िले के सचिव रहे. एक साल में ही पार्टी के भीतर वह इस कदर लोकप्रिय हुए कि उन्हें पार्टी ने उत्तर प्रदेश का संयुक्त सचिव और फिर महासचिव नियुक्त कर दिया. 1965 में कांग्रेस में आए. 1962 में पहली बार उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के लिए चुने गए. वर्ष 1965 में उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का दामन थामा और 1967 में वह कांग्रेस संसदीय दल के महासचिव चुन लिए गए.
संसद सदस्य के रूप में उन्होंने हमेशा पिछड़े और समाज के शोषित तबके के लिए आवाज़ बुलंद की. विदेशी हितों के ख़िलाफ़ ज़ोरशोर से बोलने में ज़रा भी हिचकिचाहट नहीं दिखाने के कारण ही चंद्रशेखर को ‘युवा तुर्क’ के रूप में भी जाना जाता था. चंद्रशेखर ने 1969 में ‘यंग इंडिया’ नामक साप्ताहिक पत्रिका भी शुरू की. इस पत्रिका के संपादकीय लेख का हवाला संसद से लेकर तमाम जगहों पर दिया जाता था. आपातकाल के दौरान (जून 1975 से मार्च 1977 तक) ‘यंग इंडिया’ के प्रकाशन पर रोक रही. वर्ष 1989 के बाद से इसका नियमित प्रकाशन शुरू हो सका. चंद्रशेखर इसके संपादकीय सलाहकार मंडल के अध्यक्ष रहे.
चंद्रशेखर हमेशा वैचारिक और सामाजिक बदलाव की राजनीति पर ज़ोर देते रहे. यही वजह रही कि वह 1973-75 के दौरान जयप्रकाश नारायण की ओर खिंचते चले गए और जल्द ही कांग्रेस पार्टी के असंतुष्टों में शामिल हो गए. 25 जून 1975 को जब आपातकाल घोषित किया गया तो उन्हें आंतरिक सुरक्षा क़ानून के तहत गिरफ़्तार कर लिया गया. उस समय वह कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति और कार्यसमिति के सदस्य थे. चंद्रशेखर कांग्रेस के उन चंद नेताओं में थे जिन्हें आपातकाल के दिनों में जेल भेजा गया. उनके लिए कहा जाता है कि उन्होंने हमेशा सत्ता की राजनीति को ठुकराते हुए और लोकतांत्रिक मूल्यों और समाजिक बदलाव की राजनीति को तरजीह दी.आपातकाल के दिनों में जेल में लिखी गई उनकी डायरी बाद में ‘मेरी जेल डायरी’ के रूप में प्रकाशित हुई.
आपातकाल के बाद वे जनता पार्टी के अध्यक्ष बने. चंद्रशेखर ने 1983 में छह जनवरी से 25 जून तक दक्षिण के कन्याकुमारी से दिल्ली स्थित महात्मा गांधी के समाधि स्थल राजघाट की लगभग 4260 किलोमीटर लंबी पदयात्रा की.चंद्रशेखर 1984 से 1989 के अल्प समय को छोड़कर 1962 से लगातार संसद सदस्य रहे. वर्ष 1989 में वह अपने गृह निर्वाचन क्षेत्र बलिया और बिहार के महाराजगंज संसदीय क्षेत्र से चुने गए. बाद में उन्होंने महाराजगंज सीट खाली कर दी. वीपी सिंह सरकार के मंडल आयोग की सिफ़ारिशों को लागू करने और फिर रामजन्मभूमि मुद्दे पर लालकृष्ण आडवाणी की रथयात्रा से पैदा हुए विवादों के बीच वे नवंबर 1990 में कांग्रेस समर्थिक सरकार के प्रधानमंत्री बने. लेकिन उनका प्रधानमंत्री कार्यकाल केवल नवंबर 1990 से जून 1991 तक रहा. रविवार 8 जुलाई 2007 को नई दिल्ली के अपोलो अस्पताल में उनका निधन हो गया.
(शिवकुमार कौशिकेय)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें