देश के कई हिस्सों में मानसूनी बरसात में कमी से चिंतित प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने केंद्र के सभी मंत्रालयों और विभागों को निर्देश दिया है कि वे साप्ताहिक आधार पर स्थिति की समीक्षा करें और इस स्थिति से उत्पन्न समास्याओं के समाधान के लिए राज्यों के साथ समन्वय स्थापित करें.
भारतीय मौसम विभाग के अनुसार एक जून से लेकर 15 जुलाई तक कुल वर्षा उसके दीर्घकालिक औसत (एलपीए) की तुलना में 22 प्रतिशत कम रही है.
एक आधिकारिक वक्तव्य में मंगलवार को कहा गया है कि प्रधानमंत्री को स्थिति से अवगत करा दिया गया है और उन्होंने सभी मंत्रालयों और विभागों को निर्देश दिया है कि किसी भी समस्या से निपटने के प्रयासों में वह राज्यों के साथ समन्वय बनायें और साप्ताहिक आधार पर स्थिति की समीक्षा करें. सरकारी वक्तव्य में कहा गया है कि आने वाले सप्ताह में वर्षा की स्थिति पर सावधानी पूर्वक निगरानी की जरुरत है, विशेषकर कर्नाटक, महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान में इसपर नजर रखने की जरुरत है.
वक्तव्य के अनुसार ‘‘मानसून की अब तक की प्रगति से फिलहाल, पहले की चिंतायें दूर नहीं हुई हैं.’’ भारतीय मौसम विभाग की मानसून पर 22 जून को दूसरे चरण के अनुमान के अनुसार पूरे मानसून सत्र की वर्षा 96 प्रतिशत के सामान्य दायरे में रहेगी. विभाग के अनुसार 15 जुलाई को मानसून पूरे देश में पहुंच चुका था. वक्तव्य में कहा गया है कि सरकार ने वर्षा की कमी वाले क्षेत्रों के लिए आपात योजना तैयार कर ली है. इसमें कहा गया है कि कृषि और सहकारिता विभाग में सचिव के नेतृत्व में एक अंतर मंत्रालयी समूह साप्ताहिक आधार पर स्थिति की समीक्षा कर रहा है और राज्यों के साथ वीडियो कन्फेंसिंग के जरिये संपर्क में हैं.
सरकार ने उल्लेख किया है कि गेहूं और चावल के दाम तो करीब करीब स्थिर बने हुये हैं लेकिन चीनी, दाल और सब्जियों के दाम में वृद्धि का रु़ख है. बयान में कहा गया है कि गरीब परिवारों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत सस्ती दाल की आपूर्ति का प्रस्ताव है. यह प्रस्ताव मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति के समक्ष लाया जा रहा है. सरकारी वक्तव्य के अनुसार राष्ट्रीय आपात सहायता कोष के तहत इस वर्ष अब तक 4,524 करोड़ रुपये की राशि उपलब्ध है जो कि स्थिति से निपटने के लिये काफी है.
पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन विभाग ने राज्यों में संबंधित विभागों को चारे की उपलब्धता बनाये रखने के लिये उपयुक्त सलाह दी है, इसके लिये फसलों के अवशेष को चारे के तौर पर काम में लेना भी शामिल है. इसमें कहा गया है कि राज्यों के पास विभिन्न योजनाओं में इसके लिये उपयुक्त राशि उपलब्ध है. सरकार ने पीने के पानी को सर्वोच्च प्राथमिकता दिये जाने पर बल दिया है और कहा है कि पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय पखवाड़े की बजाय साप्ताहिक आधार पर ऐसे क्षेत्रों की र्स्थिति पर गौर करेंगे.
सरकार ने यह भी कहा है कि दालों और मोटे अनाज के बीज की कोई कमी नहीं है. वक्तव्य में कहा गया है कि चारे के काम आने वाली मक्का, बाजरा तथा ऐसी अन्य फसलों के बीज की भी कोई कमी नहीं है. जरुरत पड़ने पर इन्हें राज्य सरकारों को उपलब्ध कराया जायेगा. वक्तव्य में कहा गया है कि बिजली की समस्या से निपटने के लिये भी व्यवस्था की जा रही है. पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश प्रत्येक को करीब 300 मेगावाट अतिरिक्त बिजली उपलब्ध कराई जा रही है. इसके अलावा पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गेस मंत्रालय को विशेषतौर पर उत्तर.पश्चिम भारत में डीजल की उपलब्धता बनाये रखने को कहा गया है.
राज्यों से विभिन्न जलाशयों में पीने के पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने को कहा गया है. राज्यों से कहा गया है कि वह जलाशयों का पानी सिंचाई के लिये इस तरह रखें कि वर्षा कम रहने की स्थिति में बाद में इसकी जरुरत को पूरा किया जा सके. वक्तव्य में कहा गया है कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत किसी भी अतिरिक्त आवश्यता को पूरा किया जायेगा. राज्यों को इसके लिये पहले ही 12,000 करोड़ रुपये जारी किये जा चुके हैं. इस साल अब तक फसल बुआई का क्षेत्रफल पिछले साल की तुलना में 80 लाख हेक्टेयर तक कम है. इसमें कहा गया है ‘‘जहां तक धान की बुआई के क्षेत्रफल में कमी की बात है यह बाद में पूरी हो सकती है, लेकिन मोटे अनाजों के बुआई क्षेत्रफल की कमी बनी रह सकती है.’’
देश में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, सौराष्ट्र और कर्नाटक में अभी तक वर्षा कम हुई है. देश के चार भौगोलिक क्षेत्रों में उत्तर पश्चिम, मध्य, दक्षिण पेनिनसुला और पूर्व तथा उत्तरपूर्व भारत में इस दौरान वर्षा में क्रमश 33 प्रतिशत, 26 प्रतिशत, 26 प्रतिशत और 10 प्रतिशत तक कमी रही है.
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