उच्चतम न्यायालय ने गुजरात के 2002 के दंगों के दौरान राज्य में क्षतिग्रस्त हुए धार्मिक स्थलों का विवरण नरेन्द्र मोदी सरकार से मांगा है। इससे मोदी सरकार की मुश्लिकें बढ़ सकती हैं।
न्यायमूर्ति के एस राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की खंडपीठ ने सोमवार को राज्य सरकार को क्षतिग्रस्त धार्मिक स्थलों के विवरण के साथ हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। राज्य सरकार को यह भी स्पष्ट करना है कि इन धार्मिक स्थलों के निर्माण और इनकी मरम्मत पर कितना धन खर्च होगा। इस मामले में अब 30 जुलाई को न्यायालय आगे विचार करेगा।
न्यायाधीशों ने गुजरात उच्च न्यायालय के आठ फरवरी के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार की याचिका पर सुनवाई के दौरान यह निर्देश दिया। उच्च न्यायालय ने दंगों के दौरान क्षतिग्रस्त हुए धार्मिक स्थलों को मुआवजा देने का निर्देश मोदी सरकार को दिया था। इस मामले की सुनवाई शुरू होते ही गुजरात सरकार ने दलील दी कि धार्मिक स्थलों के निर्माण और मरम्मत के लिए जनता के धन का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। इस पर न्यायाधीशों ने कहा कि वे इस तर्क पर गौर करेंगे कि क्या जनता के धन का इस्तेमाल क्षतिग्रस्त धार्मिक स्थलों को उनके पहले वाले स्वरूप में लाने के लिए हो सकता है या नहीं न्यायाधीशों ने कहा कि बाढ़ या भूकंप के कारण क्षतिग्रस्त हुए मकानों के लिए सरकार मुआजवा देती है तो फिर धार्मिक स्थलों के मामले में ऐसा क्यों नहीं हो सकता।
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