प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपने मंत्रिमंडल में मंगलवार को मामूली फेरबदल करते हुए पी चिदबंरम को गृह मंत्री से वित्त मंत्री बना दिया है। प्रणब मुखर्जी के राष्ट्रपति बन जाने से रिक्त हुए वित्त मंत्री पद को भरने के लिए इस फेरबदल की जरूरत पड़ी थी।
संसद के मानसून सत्र के बाद सितंबर में बड़े फेरबदल की संभावना है। राष्ट्रपति भवन की विज्ञप्ति के अनुसार इस फेरबदल के तहत बिजली मंत्री सुशील कुमार शिंदे को गृह मंत्री बनाया गया है और कारपोरेट मामलों के मंत्री एम वीराप्पा मोइली को बिजली मंत्रालय का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया है।
लगभग साढ़े तीन साल के बाद 66 वर्षीय चिदंबरम फिर से वित्त मंत्री बने हैं। मुंबई आतंकी हमले के बाद देश की सुरक्षा व्यवस्था को चाक चौबंद करने के इरादे से दिसंबर 2008 में उन्हें वित्त मंत्री से गृह मंत्री बनाया गया था। अब वह वित्त मंत्रालय ऐसे समय संभाल रहे हैं जब देश की अर्थव्यवस्था मंदी का सामना कर रही है और कुछ कर निर्णयों के कारण विदेशी निवेशक भारत में निवेश करने से कतरा रहे हैं। मुद्रास्फीति को नियंत्रित करना और निवेशकों का भारत में भरोसा बहाल करना नए वित्त मंत्री के रूप में चिदंबरम की बड़ी चुनौतियां होंगी।
ऐसी संभावना है कि सात सितंबर को संसद का मानसून सत्र संपन्न होने के बाद प्रधानमंत्री मंत्रिपरिषद में बड़ा फेरबदल करेंगे जिसमें संप्रग के प्रमुख घटक दल द्रमुक का प्रतिनिधित्व फिर से हो सकता है। इसके अलावा मुखर्जी के विरुद्ध भाजपा के समर्थन से राष्ट्रपति चुनाव लड़ने वाले पीए संगमा का प्रचार करने के चलते उनकी बेटी और ग्रामीण विकास राज्य मंत्री अगाथा संगमा के बारे में भी तब कुछ निर्णय किया जा सकता है। कांग्रेस ने इस फेरबदल पर प्रतिक्रिया करते हुए कहा कि प्रणब मुखर्जी के शीर्ष संवैधानिक पद पर आसीन होने से रिक्त हुए पद की भरपाई के लिए यह फेरबदल स्वाभाविक था। पार्टी के महासचिव जनार्दन द्विवेद्वी ने कहा कि मुखर्जी के राष्ट्रपति बन जाने के बाद प्रधानमंत्री को अपने इस विशेषाधिकार का प्रयोग करते हुए यह आवश्यक फेरबदल करना ही था।
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