शुक्रवार को राज्यसभा में कोयला खदानों के आवंटन समेत तीन मामलों में कैग की रिपोर्ट पेश हुई, वहीं एयर इंडिया के पूर्व सीएमडी सुनील अरोड़ा की चिट्ठी भी सार्वजनिक हुई जिसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि पूर्व नागरिक उड्डयन मंत्री प्रफुल्ल पटेल ने जानबूझकर इंडियन एयरलाइंस को दिवालिया बनाया। दोनों मामले पर विपक्ष सरकार को घेरने की तैयारी कर रहा है।
कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार के गलत फैसलों की वजह से सरकारी खजानों को लाखों करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचा। कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि टाटा, नवीन जिंदल ग्रुप, भूषण स्टील, जेपी और अदानी ग्रुप जैसी निजी कंपनियों को कोयला खदानों के मनमानी पूर्ण तरीके से आवंटन से देश को 1 लाख 85 हजार 591 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। रिपोर्ट के मुताबिक, अगर इन खदानों की नीलामी की गई होती तो सरकारी खजाने में इतना ज्यया राजस्व आता। कैग रिपोर्ट के मुताबिक टाटा और जिंदल को इस पूरे मामले में सबसे ज्यादा फायदा हुआ है।
कैग की दूसरी रिपोर्ट में अनिल अंबानी के नियंत्रण वाली रिलायंस पावर लिमिटेड (आरपीएल) को आवंटित खदानों से कोयला सासन अल्ट्रा मेगा पावर प्लांट (यूएमपीपी) डाइवर्ट किए जाने का मसला उठाया गया है। कैग की तीसरी रिपोर्ट दिल्ली एयरपोर्ट पर है, जहां कैग ने आरोप लगाया है कि सस्ती दर पर जमीन देकर डायल को अनुचित तरीके से लाभ पहुंचाया गया।
इसके अलावा यह भी आरोप लगा है कि 'महाराजा' से भिखारी बन चुकी इंडियन एयरलाइंस की इस हालत के लिए पूर्व नागरिक उड्डयन मंत्री प्रफुल्ल पटेल को जिम्मेदार हैं। एआई के पूर्व प्रमुख संजीव अरोड़ा ने वर्ष 2005 में तत्कालीन कैबिनेट सचिव बी.के. चतुर्वेदी को चिट्ठी लिखकर प्रफुल्ल पटेल और उनके ओएसडी के. एन. चौबी की शिकायत की थी। उन्होंने पटेल पर आरोप लगाया था कि एआई को नुकसान पहुंचाने वाले कई फैसले लेने के लिए उन्हें और एआई बोर्ड को मजबूर किया गया।
अरोड़ा ने आरोप लगाया है कि प्रफुल्ल पटेल ने जरूरत से ज्यादा विमान खरीदने को मजबूर किया। मुख्य आरोप है कि इंडियन एयरलाइंस को फायदा पहुंचाने वाले रूट पर जाने से रोका गया। इस पूरी प्रक्रिया में प्राइवेट एयरलाइंस को फायदा पहुंचाया गया। चिट्ठी सामने आने के बाद अब लोकसभा में विपक्ष के दो सांसद प्रबोध पांडा (सीपीआई) और निशिकांत दुबे ने सीवीसी से संजीव अरोड़ा के आरोपों की जांच कराने की मांग की है।
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