पुणे ब्लास्ट में अबतक कोई सुराग नहीं. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 2 अगस्त 2012

पुणे ब्लास्ट में अबतक कोई सुराग नहीं.


पुणे में 4 बम ब्लास्ट के 16 घंटे बीत चुके हैं लेकिन पुलिस के हाथ अब तक कोई खास सुराग नहीं लगा है। इस मामले में जांच करने के लिए एटीएस और एनआईए (नैशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी) को भी बुलाया गया है। धमाके में घायल दयानंद पाटिल पर शक किया जा रहा है कि वह खुद बम ले जा रहा था। पुणे के पुलिस कमिश्नर गुलाब राव पोल ने बताया कि घायल पाटिल की पहचान इलाके के एक दर्जी के तौर पर की गई है। पाटिल जंगली महाराज रोड पर दर्जी का काम करता है। ससून हॉस्पिटल में भर्ती पाटिल के अलावा उसकी पत्नी से भी पुलिस पूछताछ कर रही है।  

केंद्रीय गृह सचिव आरके सिंह ने कहा है कि ब्लास्ट में आतंकी गतिविधियों की संभावना से अभी इनकार नहीं किया जा सकता है। आरके सिंह ने कहा, '45मिनट के भीतर 500 मीटर के दायरे में 4 ब्लास्ट होना सुनियोजित लगता है। मैं पक्के तौर पर कह सकता हूं कि यह योजना बनाकर किया गया था। एनआईए, एनएसजी और एनएफएसएल उन 2 एलईडी की जांच कर रहे हैं, जो नहीं फटे थे।' केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने बताया कि इस मामले में अभी ज्यादा पता नहीं चल पाया है। सुशील शिंदे ने एक हाई लेवल मीटिंग की, जिसमें गृह सचिव, आईबी चीफ और एटीएस ऑफिसर शामिल थे।

पुणे में हुए सीरियल ब्लास्ट ने एक साथ कई सवाल खड़े कर दिए हैं। जांच एजेंसियों के मुताबिक धमाके का पैटर्न और तरीका एक संगठन की तरफ इशारा करता है जिन्हें ऐसे धमाके कराने में महारत हासिल है, तो वहीं धमाके की इंटेंसिटी दूसरे संगठन की ओर इशारा कर रही है। इससे जांच एजेंसियां उलझ गई हैं।

स्टेट चीफ सेक्रेटरी जयंत कुमार ने कहा, 'ब्लास्ट में जिलेटिन, बैटरियों और तारों का इस्तेमाल किया गया है।' सभी ब्लास्ट की जगहों से पुलिस को कुछ पीली चिपचिपी चीज मिली है। यह छोटे डेटोनेटर पर लगी हुई थी, जो कि पेंसिल सेल से जुड़ा हुआ था। पुलिस इस पीली चीज की पहचान नहीं कर पाई है और इसे जांच के लिए भेज दिया गया है। पुलिस को 9 वोल्ट की बैटरी भी मिली है।

कमिश्नर गुलाब राव ने कहा, 'मुझे नहीं लगता कि यह आतंकवादी हमला था। आमतौर पर आतंकवादी ज्यादा तीव्रता वाले विस्फोटक इस्तेमाल करते हैं, जबकि ये ब्लास्ट कम तीव्रता के थे।' ब्लास्ट के मकसद के बारे में पूछने पर पुलिस ने कहा कि इसका मकसद लोगों में घबराहट पैदा करना था।

13 फरवरी, 2010 को पुणे के जर्मन बेकरी में हुए ब्लास्ट में 17 लोगों की मौत हो गई थी और 60 लोग घायल हो गए थे। उस ब्लास्ट में आरडीएक्स, अमोनियम नाइट्रेट और पेट्रोलियम हाइड्रोकार्बन का खतरनाक मिश्रण इस्तेमाल किया गया था। उस ब्लास्ट का मुख्य आरोपी कतील सिद्दीकी पिछले साल दिल्ली में पकड़ा गया। दो महीने पहले पुणे की जेल में उसका कत्ल कर दिया गया था।

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