उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने आरोप लगाया है कि कृषि ऋण देने में बिहार जैसे कृषि प्रधान राज्यों के साथ केंद्र द्वारा भेदभाव हो रहा है. उपमुख्यमंत्री ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘दिल्ली और चंडीगढ़ जैसे क्षेत्र में किसानों की आबादी बहुत कम है और कृषि उत्पादन में योगदान नगण्य है. लेकिन उन्हें कृषि ऋण अधिक दिया जा रहा है, जबकि बिहार की उपेक्षा की जा रही है. भारत सरकार को दोषी बैंकों पर कार्रवाई करनी चाहिए, क्योंकि कृषि ऋण का दूसरे मद में उपयोग हो रहा है.’’
मोदी ने कहा, ‘‘राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के आंकड़ों के अनुसार 2009-10 की अवधि में दिल्ली और चंडीगढ़ को 32,400 करोड़ रुपये का कृषि रिण दिया गया, जबकि इसी अवधि में बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और झारखंड को मिलाकर 31 हजार करोड़ रुपये का रिण दिया गया. यह कृषि प्रधान राज्यों के साथ मजाक है.’’
उपमुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि बिहार में कृषि रिण को चुकाने की दर भी अधिक है, लेकिन बैंकों द्वारा तरजीह नहीं दी जाती और पक्षपात किया जाता है. दिल्ली में ग्रामीण और कृषि प्रधान आबादी 4.19 लाख और चंडीगढ में 29 हजार है, जबकि बिहार में नौ करोड से अधिक लोग ग्रामीण क्षेत्र के हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘दिल्ली और चंडीगढ में सस्ते ब्याज दर पर कृषि रिण प्राप्त कर लोग उसे बैंक में जमा कर देते हैं. यह सस्ते कृषि रिण का दुरुपयोग है.’’
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