पूर्व डीजीपी का बंगला जब्त होगा. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 2 अगस्त 2012

पूर्व डीजीपी का बंगला जब्त होगा.


बिहार के पूर्व डीजीपी नारायण मिश्रा का रूपसपुर के वेदनगर में स्थित शानदार आशियाना बृहस्पतिवार को जब्त हो जाएगा. उनके बंगले पर सरकारी ताला जड़कर सील किए जाने से पहले बंगले में उपलब्ध तमाम सामानों की सीजर लिस्ट तैयार होगी. कोर्ट के निर्देश पर बुधवार को अपर समाहर्ता सुरेश कुमार शर्मा के नेतृत्व में गई टीम ने पूर्व डीजीपी के अनुरोध पर उनको बंगला खाली करने के लिए एक दिन का समय दिया है. हालांकि पूर्व डीजीपी ने अधिकारियों से कहा कि उन्होंने छह माह के लिए बंगला किराये पर लेने के लिए कोर्ट में आवेदन दिया है, जिस पर 16 अगस्त को निर्देश प्राप्त होगा. इसलिए उन्हें तब तक के लिए मोहलत दी जाय. 

जानकारी के मुताबिक बुधवार को अपर समाहर्ता के नेतृत्व में वरीय उप समाहर्ता मनोरंजन कुमार, अखिलेश कुमार सिंह, दानापुर डीएसपी और रूपसपुर व दीघा थाना प्रभारी की एक टीम पूर्व डीजीपी की अचल संपत्ति पर कब्जा करने पहुंची. टीम सबसे पहले रूपसपुर के पवन विला अपार्टमेंट में स्थित फ्लैट संख्या 204 पर कब्जा करने के लिए गयी. इस फ्लैट में बैंककर्मी सुरेश कुमार का परिवार रहता है. फ्लैट पर सरकारी कब्जा करने को लेकर नोटिस चिपका दी गई, जिसका बैंककर्मी ने विरोध किया. बाद में कागजात दिखाए जाने के बाद बैंककर्मी को राहत मिली. दरअसल बैंककर्मी ने इस फ्लैट को 2004 में ही खरीदा था. हाईकोर्ट ने भी इस फ्लैट को पूर्व डीजीपी की संपत्ति से अलग करार दिया था. इसके बाद जिला प्रशासन की टीम दीघा के नेपाली नगर में अवस्थित करीब 5440 स्क्वॉयर फीट के दो प्लॉटों को अपने कब्जे में लिया. इन प्लॉटों पर पुराना मकान बना हुआ था. अपर समाहर्ता ने बताया कि पूर्व डीजीपी का वेदनगर में 1955 स्क्वॉयर फीट और 2670 स्क्वॉयर फीट के दो प्लॉट हैं, जिसपर आलीशान मकान बना है. इस मकान पर बृहस्पतिवार को जब्ती की कार्रवाई होगी.

नारायण मिश्रा का झारखंड के हजारीबाग में भी जमीन है, जिसकी जब्ती को लेकर संबंधित जिले के डीसी से बात की जायेगी. इसके अलावा उनके करीब 50-60 बैंकखातों को भी फ्रीज करने की तैयारी चल रही है. इससे पूर्व संपत्ति जब्त करने के लिए वेदनगर स्थित पवन विला अपार्टमेन्ट के फ्लैट नंबर 204 में पहुंची जिला प्रशासन की टीम को देखकर फ्लैट की मालकिन किरण देवी हक्का-बक्का रह गयी. उन्हें अधिकारियों ने बताया कि फ्लैट को जब्त करना है. इस क्रम में किरण देवी ने बताया कि इस फ्लैट को उन्होंने नारायण मिश्रा की पत्नी कंचन मिश्रा से खरीदा है. फ्लैट के निबंधन के कागजात भी दिखाये गए लेकिन अधिकारियों ने एक न सुनी और फ्लैट की दीवार पर जब्ती की सूचना लिख दी.
मामला उस वक्त पलट गया जब पता चला कि उक्त फ्लैट को न्यायालय ने आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले से बाहर कर दिया है. 31 जुलाई को कोर्ट का आदेश आने के बाद जिलाधिकारी ने इसे जब्ती से मुक्त रखते हुए वेदनगर स्थित उनके आलीशान बंगले एवं दीघा स्थित निराला नगर की संपत्ति समेत सवा करोड़ की संपत्ति जब्त करने का आदेश दिया है.

प्रशासनिक अधिकारी चल अचल के क्रम संख्या को अलग करने  में चूक गये और फ्लैट की जब्ती का आदेश लिख दिया. बाद में नारायण मिश्रा के बताने पर प्रशासनिक अधिकारी ने न्यायालय के आदेश की कॉपी को पुन: पढ़ा और फ्लैट मालिक से भूल स्वीकारते हुए नये आदेश पर फ्लैट वापस किया. इसके बाद नारायण मिश्रा के आलीशान बंगले को प्रशासनिक अधिकारी जब्त करने पहुंचे. नोटिस मंगलवार को ही चिपका दी गयी थी. प्रशासनिक अधिकारियों को गेट पर आकर स्वयं नारायण मिश्रा ने बताया कि उन्होंने कोर्ट में इस बंगले को छह माह के लिए किराये पर देने की अर्जी दी है.

अर्जी को स्वीकार कर लिया गया है. इस पर 16 अगस्त को निर्देश प्राप्त होगा. श्री मिश्रा ने अधिकारियों से आग्रह किया कि अर्जी निष्पादन तक मोहलत दी जाए. उनकी बात सुन अधिकारी वापस लौट गए. उधर फ्लैट जब्ती में हुई चूक के बारे में वरीय समाहर्ता सुरेश शर्मा ने कहा कि चल अचल क्रमांक को पृथक करने में भूलवश चूक हुई जिसे तुरंत सुधार लिया गया.

बिल्डर माफियाओं के साथ मिलकर बड़ी-बड़ी इमारतों का गलत नक्शा पास कराकर सरकार को करीब साढ़े सात करोड़ रुपये की चपत लगाने के आरोपी भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी व पटना नगर निगम के तत्कालीन निगम आयुक्त के. सेंथिल कुमार पर निगरानी का शिंकजा कसने लगा है. निगरानी विभाग अब सेंथिल कुमार द्वारा अर्जित चल और अचल सम्पत्ति का हिसाब लगाने की तैयारी में है. अगर उनके द्वारा अर्जित की गयी सम्पत्ति उनकी वास्तविक आय से अधिक पायी गयी तो उसे जब्त करने के लिए निगरानी बिहार विशेष न्यायालय अधिनियम-2009 के तहत मुकदमा भी दर्ज करायेगा.

निगरानी विभाग के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सेंथिल कुमार की सम्पत्ति का हिसाब लगाने की कार्रवाई जल्द ही शुरू की जायेगी. सेंथिल कुमार के लिए वर्ष 1996 को चेक पीरियड माना जायेगा, क्योंकि वे इसी वर्ष भारतीय प्रशासनिक सेवा में आये थे. फिलहाल वे निलम्बित हैं और बिहार से बाहर रह रहे हैं. पटना नगर निगम में हुए करोड़ों रुपये के घोटाले के सम्बन्ध में निगरानी अन्वेषण ब्यूरो ने विगत 29 जुलाई को पटना स्थित निगरानी की विशेष अदालत में सेंथिल कुमार के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल कर दिया है. इस आरोप पत्र में पटना नगर निगम के दो अन्य तत्कालीन पदाधिकारियों को भी अभियुक्त बनाया गया है. इनमें तत्कालीन अपर नगर आयुक्त बैद्यनाथ दास और कार्यपालक अभियंता ब्रह्मदेव दुबे भी शामिल हैं.

निगरानी विभाग की एक टीम इन तीनों अधिकारियों द्वारा अर्जित की गयी चल व अचल सम्पत्ति की जांच में जुट चुकी है. लेकिन अभी यह जांच अपने आरंभिक चरण में ही है. बताया जाता है कि सेंथिल कुमार ने पटना नगर निगम के निगम आयुक्त रहते राजधानी में अपने सगे-सम्बन्धियों के नाम बड़े पैमाने पर  अचल सम्पत्ति अर्जित किया. इनमें कई फ्लैट और जमीन-जायदाद शामिल हैं. सेंथिल ने बिल्डरों के साथ मिलकर गलत नक्शा पास कराकर निगम को कुल 7 करोड़, 46 लाख, 66 हजार रुपये की क्षति पहुंचायी थी. इसके अलावा पटना नगर निगम क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले होटलों के होल्डिंग शुल्क का समय पर निर्धारण नहीं किया, जिससे निगम को 64 लाख, 41 हजार रुपये का नुकसान हुआ है. इसी तरह वधशाला के निर्माण में अनियमितता के कारण भी निगम को आठ करोड़, 43 लाख रुपये का नुकसान पहुंचा है.

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