राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि अगर देश में बात-बात पर आंदोलन होंगे तो अव्यवस्था फैल सकती है। स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर देश के नाम अपने पहले संबोधन में राष्ट्रपति ने आगाह किया कि लोकतांत्रिक संस्थाओं पर हमले से देश कमज़ोर हो सकता है। हालांकि राष्ट्रपति ने ये भी माना कि भ्रष्टाचार जैसे मुद्दे को लेकर देश के लोगों में ग़ुस्सा है।
राष्ट्रपति के तौर पर प्रणब मुखर्जी के पहले संबोधन में टीम अन्ना और बाबा रामदेव के आंदोलनों पर सख्त टिप्पणी हुई। हालांकि उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन भ्रष्टाचार और कालेधन के ख़िलाफ़ चल रहे आंदोलनों को लेकर चेतावनी दे डाली। उन्होंने माना कि लोगों में इन मुद्दों पर गुस्सा है, लेकिन इस ग़ुस्से के बहाने लोकतांत्रिक संस्थाओं पर हमला ज़ायज़ नहीं है। लोकतांत्रिक संस्थाएं संविधान की महत्वपूर्ण स्तंभ हैं और इनमें दरार आने पर संविधान के आदर्श कमजोर होंगे। बात-बात पर आंदोलन देश में अव्यवस्था फैला सकते हैं। संसद देश की आत्मा है और उसे क़ानून बनाने के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता। लोकतंत्र को स्वतंत्र चुनावों के जरिए शिकायतों के समाधान के लिए बेहतरीन अवसर का वरदान प्राप्त है।
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