बिहार शरीफ में तीन साल पहले केंद्र सरकार की योजना के तहत 810 मकानों के निर्माण की स्वीकृति दी गई थी.बिहार शरीफ में गन्दी बस्तियों में रहने वाले लोगों की झुग्गी-झोपड़ी को तोड़ दिया गया है और उन्हें सपना दिखाया गया नए मकानों का, जोकि अब तक अधूरा है.
दरअसल तीन साल पहले केंद्र सरकार की योजना इंटीग्रेटेड हाउसिंग और स्लम डेवलपमेंट प्लान के तहत बिहार शरीफ में दिसंबर 2009 में 810 मकानों के निर्माण की स्वीकृति दी गई थी, इसलिए 368 झुग्गी-झोपड़ियों को तोड़ दिया गया और मकान बनाने का काम शुरू कर दिया गया. लेकिन तीन साल बीत जाने के बाद भी भारत सरकार की हिंदुस्तान फेरीफैब कंपनी ने काम पूरा नहीं किया है. जो थोड़ा-बहुत काम भी किया था उसमें घटिया सामग्री का प्रयोग किया गया है, जिसको कारण अब लोगों की जान संकट में है.
जब नगर आयुक्त से इस विषय में बात की गई तो उनका कहना है कि हिंदुस्तान फेरीफैब का कहना है कि उन्हें दूसरी किश्त नहीं मिली है, जिसके कारण मकान बनाने का कार्य पूरा नहीं किया जा सका. इसलिए अब राज्य सरकार से इस विषय में बात चल रही है. इस पूरे खेल में लोगों ने बंटाधार होने का आरोप भी लगाया है. सच चाहें जो भी हो लेकिन आज उन गरीबों के सिर पर छत नहीं है. पहले वह अपनी झोपड़ी में खुश थे, आज उनसे वह भी छीन ली गई है. अब तो बस वह लोग केंद्र और राज्य सरकार के नगर एवं आवास विभाग के बीच में पिस रहे हैं.
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