विपक्ष पार्टी बीजेपी संसद में प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के इस्तीफे की मांग पर अड़ी हुई है। जेपीसी से बीजेपी सांसदों के वॉकआउट के बाद मुख्य विपक्षी पार्टी दबाव बनाने के लिए लोकसभा से अपने सांसदों के सामूहिक इस्तीफे दिलवा सकती है। हालांकि, बीजेपी ने संसदीय समितियों और लोकसभा से उसके सासंदों के संभावित इस्तीफे की रिपोर्ट को खारिज कर दिया है।
संसद की कार्यवाही शुरू होने से पहले गुरुवार को बीजेपी की बैठक हुई। इसके बाद पार्टी सूत्र ने बताया कि लोकसभा से सभी सांसदों के इस्तीफे की रिपोर्ट पूरी तरह से मनगढ़ंत है। पार्टी ने संसदीय समितियों और जेपीसी छोड़ने की बात से भी इनकार किया और कहा कि ऐसा कोई फैसला नहीं लिया गया है। बुधवार रात यूपीए कोऑर्डिनेशन कमिटी की मीटिंग में घटल दलों के नेताओं ने संसद में जारी गतिरोध पर चर्चा की। नेताओं की राय थी कि दबाव बढ़ाने के लिए सभी संसदीय समितियों से बीजेपी के सांसद अपना नाम वापस ले सकते हैं। यूपीए नेताओं को आशंका है कि बीजेपी के सांसद लोकसभा की सदस्यता से सामूहिक इस्तीफा देकर अस्थिरता को भी बढ़ा सकते हैं।
मीटिंग में मौजूद सोनिया गांधी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह समेत दूसरे नेताओं की राय थी कि अभी लोकसभा का कार्यकाल कम से कम 20 महीने बचा हुआ है और बीजेपी सांसदों के इस्तीफे की स्थिति में मिडटर्म पोल के बजाय उसकी 114 सीटों पर उपचुनाव कराए जाएं। नेताओं की राय थी कि ऐसी स्थिति में यूपीए के लिए खोने को कुछ नहीं रहेगा। मीटिंग में मौजूद एक सूत्र के मुताबिक, अगर बीजेपी फिर से सभी 114 सीटें जीत लेती है तो भी उसके पास साबित करने के लिए कुछ नहीं होगा, जबकि यूपीए इसमें से कुछ सीटें भी जीत लेती है तो वह 2014 के आम चुनाव से पहले मनोवैज्ञिनिक बढ़त ले लेगी।
बुधवार को जेपीसी में गवाह के तौर पर प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री को बुलाए जाने की मांग पर तकरार इतनी बढ़ी कि कांग्रेस सदस्य मनीष तिवारी ने कह दिया कि बीजेपी जेपीसी को कंगारू कोर्ट (स्वयंभू अदालत) में बदलने की कोशिश कर रही है। इससे भड़के बीजेपी की ओर से जेपीसी में मौजूद यशवंत सिन्हा, जसवंत सिंह, रविशंकर प्रसाद, गोपीनाथ मुंडे और धर्मेंद्र प्रधान ने वॉकआउट कर दिया।सूत्रों का कहना है कि बुधवार को जेपीसी में बीजेपी सदस्यों ने फिर से अपनी मांग उठाई तो कांग्रेस के मनीष तिवारी और दीपेंद्र हुड्डा बिफर पड़े। मनीष तिवारी ने आरोप लगाया कि बीजेपी जेपीसी को कंगारू कोर्ट बनाने पर तुली है। इसके बाद हुड्डा ने भी यशवंत सिन्हा की ओर मुखातिब होते हुए उन पर राजनीति करने का आरोप लगाया। सूत्रों का कहना है कि बीच-बचाव करने आए गुरुदास दासगुप्ता पर भी हुड्डा ने अनुचित प्रतिक्रिया दी। इसके बाद बीजेपी के से सभी पांच सदस्यों ने वॉकआउट किया। यशवंत सिन्हा ने कहा कि कमिटी से इस्तीफे पर विचार किया जा रहा है।
बताते हैं कि बीजेपी गवाहों की लिस्ट में प्रधानमंत्री और चिदंबरम को शामिल करने पर ही मानेगी। बीजेपी को गुरुदास की ओर से भी ताकत मिल गई है जिनका मानना है कि जेपीसी में मंत्रियों को बुलाने की परंपरा रही है। उन्होंने भी परोक्ष रूप से कांग्रेस सदस्यों के आचरण पर आपत्ति जताई है। कांग्रेस की ओर से भी संकेत दे दिया गया है कि प्रधानमंत्री जेपीसी में गवाही नहीं देंगे।
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