आम आदमी चाहता है कि देश में काले धन की समस्या पर अंकुश के लिए सरकार को 500 और 1000 रुपये के बड़े नोटों को बंद करना चाहिए. वित्त मंत्रालय की एक रिपोर्ट में यह तथ्य सामने आया है. रिपोर्ट के अनुसार जनता ने जो अन्य मांगें की हैं उनमें कालेधन की घोषणा के लिए स्वैच्छिक योजना को लागू करना तथा लोकपाल लाना है.
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने अवैध धन की समस्या से निपटने तथा ‘काली अर्थव्यवस्था’ पर अंकुश के लिए आम जनता से विचार मांगे थे. हालांकि, मंत्रालय की विभिन्न एजेंसियों के शीर्ष अधिकारियों मसलन प्रवर्तन निदेशालय, राजस्व खुफिया निदेशालय तथा वित्तीय खुफिया इकाई के प्रमुखों ने बड़े नोटों को बंद करने का सुझाव खारिज कर दिया है.
सीबीडीटी के चेयरमैन की अगुवाई वाली समिति ने वित्त मंत्रालय को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा है, ‘‘आम जनता की एक प्रमुख मांग बड़े नोटों को बंद करने की है, खासकर 1000 और 500 के नोट को बंद करने की.’’ रिपोर्ट में कहा गया है कि इस बारे में यह बात सामने आई है कि काले धन की समस्या पर अंकुश बड़े नोटों को बंद कर नहीं लगाया जा सकता, क्योंकि ज्यादातर काला धन बेनामी संपत्तियों, सर्राफा और आभूषणों के रूप में रखा गया है. इसमें कहा गया है कि इस तरह बड़े नोटों को बंद करने से लागत ही बढ़ेगी, क्योंकि ये इतनी ही राशि के दूसरे नोट छापकर अर्थव्यवस्था में डालने होंगे.
रिपोर्ट में कहा गया है कि बड़े नोटों के बंद होने से बैंकिंग प्रणाली भी प्रभावित होगी. बैंकों को नोटों की देखरेख तथा परिवहन में दिक्कत होगी. साथ ही इससे आम जनता की भी परेशानी बढ़ेगी. कर्मचारियों को वेतन आदि का भुगतान भी छोटे नोटों में करना होगा, जिससे इसमें परेशानी बढ़ेगी. पूर्व में भी दो बार (1946 और 1978) में नोटों को बंद किया गया, लेकिन यह प्रयास विफल साबित हुआ. सिर्फ 15 फीसद नोट ही बदले जा सके, जबकि शेष 85 प्रतिशत नोट कभी सामने ही नहीं आए, क्योंकि लोगों को अंदेशा था कि सरकारी एजेंसियां उनके खिलाफ कार्रवाई कर सकती हैं.
जनता यह भी चाहती है कि सरकार काले धन की घोषणा की स्वैच्छिक योजना लाए. यह योजना जुर्माने या बिना जुर्माने की हो सकती है. और उसके बाद कड़ाई से आर्थिक कानूनों को लागू करे. यह रिपोर्ट इस साल मार्च में वित्त मंत्री के कार्यालय को सौंपी गई. रिपोर्ट में कहा गया है कि आम जनता यह भी चाहती है कि काले धन को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित किया जाए और अवैध संपत्ति को जब्त किया जाए. सीबीडीटी के चेयरमैन की अगुवाई वाली समिति को जो अन्य सुझाव मिले हैं उनमें बैंकिंग परिचालन के विस्तार तथा मौद्रिक लेनदेन में आधुनिक इंटरनेट और मोबाइल प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल का भी सुझाव शामिल है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि जनता यह भी चाहती है कि सरकार मजबूत लोकपाल विधेयक लाए, जो राजनीतिक भ्रष्टाचार की निगरानी करे और उस पर कार्रवाई करे. भ्रष्टाचार में शामिल सरकारी कर्मचारी को बर्खास्त करे, भष्ट्र नेताओं को चुनाव लड़ने से रोके.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें