गुजरात दंगों के करीब 10 साल बाद आज नरोडा पाटिया के दंगा पीड़ितों के लिए इंसाफ का दिन है। 2002 के नरोदा पाटिया दंगा मामले में स्पेशल कोर्ट आज अपना फैसला सुना सकता है। नरोदा पाटिया में 95 लोगों का कत्ल कर दिया गया था। इस मामले में 62 लोगों को आरोपी बनाया गया। आरोपियों में से एक की मौत ट्रायल के दौरान ही हो गई थी। दंगे में शामिल होने के आरोप सूबे के कई कद्दावर नेताओं पर लगे। इन्हीं नेताओं में एक मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की करीबी माया कोडनानी हैं। माया कोडनानी नरेंद्र मोदी की करीबी बताई जाती हैं।
28 फरवरी, 2002 को नरोदा पाटिया में इंसानियत जल रही थी। मासूमों के खून से यहीं की जमीन रंग दी गई। नरोदा पाटिया में 95 बेकसूर लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया जिसमें 11 महिलाएं भी शामिल थीं। 2002 में नरोदा पाटिया ही वो जगह थी जहां एक साथ सबसे ज्यादा लोग मारे गए थे। आज अहमदाबाद का स्पेशल ट्रायल कोर्ट अपना फैसला सुनाएगा। 10 साल बाद यहां सब कुछ सामान्य है, लोग जिंदगी की जद्दोजहद में लगे हैं, दो जून की रोटी जुटाने में ही सारा वक्त गुजर जाता है लेकिन 10 साल पहले की खौफनाक याद आज भी इनके जहन में ताजा है।
28 फरवरी 2002 के दिन रेहाना बानू की दुनिया उजड़ गई थी। उस दिन सुबह ही दंगाइयों ने इनके परिवार पर हमला कर दिया। जान बचाने के लिए पुलिस के पास भागीं लेकिन कोई मदद नहीं मिली। बचते-बचाते वो भाग ही रहे थे कि रेहाना की मां और बहन दंगाइयों के हत्थे चढ़ गए और दोनों को मौत के घाट उतार दिया गया।
यही कहानी नरोदा पाटिया में रहने वाली मेहरुन्निसा की भी है। 10 साल बाद बहुत मुश्किल से इनके परिवार का गुजारा चल रहा है। इन्होंने कभी सोचा न था कि ऐसी बदत्तर जिंदगी से कभी दो-चार होना पड़ेगा मेहरुन्निसा नसीब वाली थीं कि वो अपने परिवार के साथ नरोदा पाटिया से भागने में सफल रहीं। लेकिन आज उस मंजर को यादकर ये कांप उठतीं हैं।
नरोदा पाटिया में दस साल बाद भी लोगों के जहन में अजीब-सी दहशत है जो बाहर दिखाई तो नहीं देती लेकिन सीने के अंदर जिंदा है। नरोदा पाटिया के अहम गवाह गवाह दिलावर भाई ने अपनी आंखों से लोगों को मरते देखा है। 10 साल बाद आज भी इनकी आंखों में मायूसी है लेकिन इंसाफ की लड़ाई आज भी वो लड़ रहे हैं।
नरोदा पाटिया कत्लेआम पहला मामला है जहां मोदी सरकार में मंत्री रहीं बीजेपी विधायक माया कोडनानी की सीधी भूमिका का आरोप लगा और जिसके चलते उन्हें जेल भी जाना पड़ा। आरोपी नंबर 37 माया कोडनानी पर लोगों को उकसाने का आरोप है। एसआईटी ने भी कोडनानी के खिलाफ काफी सबूत पेश किए हैं।
कोडनानी के अलावा इस केस में बजरंग दल के बाबू बजरंगी पटेल और कई पुलिसवाले भी आरोपी हैं। इस केस में एसआईटी ने 62 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया जिसमें से एक की मौत ट्रायल के दौरान ही हो गई थी। 300 से ज्यादा लोगों ने इस केस में गवाही दी है।
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