पाकिस्तान सरकार ने भारत को औपचारिक तौर पर सूचित किया है कि वर्ष 2008 में हुए मुंबई हमलों के सिलसिले में नई दिल्ली ने जो सबूत मुहैया कराए हैं, वह पाकिस्तान की अदालत में स्वीकार्य नहीं हैं, क्योंकि बचाव पक्ष के वकीलों को भारतीय अधिकारियों से जिरह की अनुमति नहीं दी गई थी।
द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की खबर में कहा गया है कि पाकिस्तान के गृह मंत्री ने भारत सरकार को सूचित किया है कि लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर जकीउर रहमान लखवी सहित सात संदिग्धों के खिलाफ सुनवाई में नई दिल्ली द्वारा दिए गए सबूत स्वीकार्य नहीं हैं। गृह मंत्री के अनुसार ऐसा इसलिए है, क्योंकि जब मार्च में एक पाकिस्तानी जांच आयोग मुंबई गया था, तो उसे भारतीय अधिकारियों से सवाल जवाब करने की अनुमति नहीं दी गई थी।
खबर में कहा गया है कि भारत सरकार को कल भेजे गए एक पत्र में गृह मंत्री ने रावलपिंडी की आतंकवाद निरोधक अदालत की व्यवस्था का हवाला दिया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में सबूतों को स्वीकार्य बनाने के लिए प्रमुख भारतीय अधिकारियों से पूछताछ जरूरी है।
इस मामले की 28 जुलाई को हुई सुनवाई के दौरान आतंकवाद निरोधक अदालत ने दो पाकिस्तानी जांचकर्ताओं के बयान दर्ज नहीं किये। इन जांचकर्ताओं को भारत द्वारा मुहैया कराए गए सबूतों के बारे में बयान देने थे।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें