पार्टी की छवि बिगाड़ने पर विदाई. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 1 अगस्त 2012

पार्टी की छवि बिगाड़ने पर विदाई.


सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा है कि अगर कोई मंत्री पार्टी की छवि बिगाड़ने की कोशिश करेगा तो उसकी विदाई जल्द संभव है. सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव अखिलेश सरकार से नाराज है. मुलायम ने चेतावनी भी दी कि कामकाज का ढर्रा न सुधारने और कार्यकर्ताओं की बात न सुनने वाले मंत्रियों की विदाई भी हो सकती है. 

मुलायम सिंह सपा विधानमंडल दल की बैठक को संबोधित कर रहे थे. यादव ने कहा कि पार्टी कार्यकर्ताओं ने पांच साल तक बसपा राज के कुशासन के खिलाफ संघर्ष किया. इस सरकार से जनता को काफी उम्मीदें है. इसमें कोई बहानेबाजी नहीं चलेगी.

लोकसभा चुनाव की चिंता को विधायकों के बीच रखते हुए मुलायम ने सभी को हिदायत दी कि जनता से खूब घुलें-मिलें. ज्यादा से ज्यादा समय जनता के बीच और क्षेत्र में दें जिससे लोकसभा चुनाव में भी विधानसभा की तरह बेहतर नतीजे रहें. बैठक के बाद पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव राम आसरे कुशवाहा ने जो कुछ बताया उससे भी मुलायम की चिंता की झलक मिलती है.mउन्होंने पत्रकारों के सवालों पर जवाब दिया कि मुलायम सिंह जमीन से जुड़े नेता हैं. उनकी सब पर पैनी नजर रहती है. जो कुछ हो रहा है उस सबकी उन्हें जानकारी है. कोई भी हो जो उनकी व जनता की कसौटी पर खरा नहीं उतरेगा तो उसे सजा मिलेगी ही.

सत्ता में आने के बाद पार्टी के भीतर और सरकार में जो कुछ चल रहा है उससे मुलायम खासे चिंतित हैं. नेताओं की मुसीबत बनती बयानबाजी से परेशान मुलायम सिंह यादव के लिए कानून-व्यवस्था सबसे ज्यादा चिंता बनी हुई है. महंगाई भी चिंता का मुद्दा बनी हुई है. सरकारी दफ्तरों का जनता के साथ व्यवहार न बदलना भी उनकी चिंता का कारण बना हुआ है. उन्हें इस बात की भी सूचना है कि सत्ता में आने के बाद सपा नेताओं और विधायकों रवैया बदल गया है.

कार्यकर्ताओं में भी सत्ता से उपेक्षा का संदेश जा रहा है. यह स्थिति लोकसभा चुनाव में पार्टी के लिए भारी मुसीबत खड़ी कर सकती है. खासतौर से चुस्त-दुरुस्त कानून-व्यवस्था और महिलाओं से दुराचार की घटनाओं पर रोक चुनौती बनी हुई है. मुलायम ने आगाह किया कि सरकार और सत्तारूढ़ दल के बारे में समाज में बेहतर संदेश देने की जिम्मेदारी विधायकों व मंत्रियों की है. अगर इनका व्यवहार ठीक रहेगा तो लोगों का जनता पर भरोसा बढ़ेगा. साथ ही लोकसभा चुनाव में भी विधानसभा की तरह बढ़िया नतीजे आएंगे. अगर जनता में नहीं गए तो लोकसभा चुनाव के नतीजे भी ठीक नहीं रहेंगे.

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