सिक्किम में इन दिनों जैविक खेती का प्रचलन तेजी से बढ़ रहा है। राज्य के 62,000 कृषक परिवार वर्ष 2015 तक अपनी खेती को पूरी तरह जैविक पैदावार के रूप में परिवर्तित करने के लक्ष्य को पार कर सिक्किम को देश का पहला जैविक राज्य बनाने में जुटे हैं।
सिक्किम देश का पहला राज्य है, जराज्य हां वर्ष 2003 में मुख्यमंत्री पवन चामलिंग ने राज्य विधानसभा में एक प्रस्ताव पारित कर सिक्किम को जैविक राज्य के रूप में परिविर्तत करने का प्रस्ताव पारित किया, जिसके फलस्वरूप सिक्किम स्टेट आर्गेनिक बोर्ड का गठन किया गया।
राज्य की विभिन्न सरकारी एजेंसियों के सतत प्रयासों के फलस्वरूप पहले छह सालों में वर्ष 2009 तक लगभग 6,000 हेक्टेयर कृषि भूमि को जैविक खेती के अंतर्गत लाया गया। राज्य सरकार ने वर्ष 2003 में राज्य में रासायनिक खाद तथा कीटनाशक दवाइयों की बिक्री पर पूरा प्रतिबंध लगाया तथा इन पर सरकारी उपदान को पूरी तरह खत्म कर दिया गया। राज्य सरकार ने 2006 में केंद्रीय सरकार के रासायनिक खाद के कोटे को उठाना बंद कर दिया तथा सरकारी एवं निजी क्षेत्र के बिक्री केंद्रों को बंद कर दिया। राज्य सरकार ने विकल्प के तौर पर जैविक खाद के उत्पादन को प्रोत्साहित करना शुरू किया तथा वर्ष 2009 तक 24536 ग्रामीण वनस्पतिक खाद एवं 14487 वर्मी कम्पोस्ट खाद की इकाइयां स्थापित की।
राज्य के लगभग 400 गांवों को वर्ष 2009 तक जैविक गांव कार्यक्रम के अंतर्गत अपनाया गया जिसमें 3 करोड़ रुपये की लागत से चार जिलों के 14000 किसानों की 14000 एकड़ भूमि को कवर किया गया। राज्य के सरकारी कृषि फार्मो नाजीटाम एवं भेलीडारा को जैविक अनुसंधान के लिए उत्कृष्ट केंद्र के रूप में परिवर्तित किया गया।
राज्य सरकार ने वर्ष 2010 में राज्य स्तर पर जैविक खेती के कार्यक्रमों के कार्यन्वन तथा समीक्षा के लिए 'सिक्किम आर्गेनिक मिशन' की स्थापना की।
मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में गठित राज्यस्तरीय समिति में सभी सम्बद्ध विभागों के मंत्रियों को शामिल किया गया। मिशन के अंर्तगत राज्य सरकार ने 50,000 हेक्टेयर कृषि भूमि को जैविक खेती में परिवर्तित करने के लिए समयबद्ध रूप से कार्य करना शुरू किया, जिसके अंतर्गत वर्ष 2013, वर्ष 2014 तथा वर्ष 2015 के दौरान क्रमश: 18,000 हेक्टेयर, 18,000 हेक्टेयर तथा 14,000 हेक्टेयर भूमि को जैविक खेती में परिवर्तित करने का लक्ष्य रखा गया है।
राज्य में जैविक खेती का रुझान तेजी से बढ़ रहा है तथा अब तक लगभग 8000 किसान अपनी भूमि को जैविक खेती के लिए प्रमाणित करवा चुके हैं तथा इस प्रक्रिया में 30,000 किसान पंजीकृत किए गए हैं। राज्य के बाकी 11,000 किसानों को जैविक प्रमाणिकता की प्रक्रिया में शामिल करके वर्ष 2015 तक लगभग 50,000 किसानों को पूरी तरह जैविक खेती के अंतर्गत लाया जाएगा। जैविक अदरक की प्रोसेसिंग के लिए दक्षिण सिक्किम में इकाई स्थापित की गई है तथा राज्य सरकार ने जैविक उत्पादों की मार्केटिंग के लिए अलग से एक सेल गठित किया है।
जैविक उत्पादों की बिक्री के लिए दक्षिण दिल्ली में एक बिक्री केंद्र खोला गया है तथा राज्य के महत्वपूर्ण स्थानों पर 10 अपनी मंडियां स्थापित की गई हैं जहां पर उत्पादक अपनी उपज सीधे ग्राहकों को बेच कर आकर्षक दाम प्राप्त कर रहे हैं। राज्य में जैविक खाद की कुल मांग 10 लाख मीट्रिक टन है जिसे किसानवर्मी कम्पोस्ट तथा गामीण कम्पोस्ट इकाइयों के माध्यम से प्राप्त कर रहे हैं। राज्य में जैविक नीति 2003 के बाद सरकार वर्मी कम्पोस्ट पर 15,000 तथा ग्रामीण कम्पोस्ट पर 20,000 प्रति इकाई की दर पर उपदान प्रदान कर रही है।
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