जानेमाने उद्योगपति बिल गेट्स का बिल एंड मेलिंडा गेट्स फॉउंडेशन भविष्य के लिए ऐसे शौचालयों पर विचार कर रहा है जिससे दुनियाभर में साफ-सफाई का स्तर पहले से कहीं ज्यादा बेहतर हो सकता है. वॉशिंगटन स्थित सिएटल कैम्पस में इस हफ्ते आयोजित 'रीइनवेंट टॉयलेट' मेले में कई तरह के शौचालयों का प्रदर्शन किया गया है. इनमें एक ऐसा शौचालय भी शामिल है जिसमें माइक्रोवेव ऊर्जा की मदद से मल को बिजली में तब्दील किया जा सकता है. मेला
मेले में प्रदर्शित एक अन्य शौचालय की खासियत ये है कि इसमें विसर्जित मल को कोयले में बदला जा सकता है. यहां एक इस तरह का शौचालय भी प्रदर्शित किया गया जिसमें मल की सफाई के लिए मूत्र का ही इस्तेमाल किया जाता है. मेले में कुल 28 तरह के शौचालय प्रदर्शित किए गए. बेहतरीन शौचालय के लिए कैलीफोर्निया टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट की टीम को विजेता चुना गया.
प्रोफेसर माइकल हॉफमेन के नेतृत्व में कैलीफोर्निया टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट की टीम ने जो शौचालय विकसित किया है, वो सौर ऊर्जा से काम करता है. इतना ही नहीं, ये शौचालय मल को हाइड्रोजन गैस में बदल देता है और इससे बिजली भी बनाता है. इसे बनाने वाली टीम को एक लाख डॉलर का इनाम दिया गया है.
'लंदन स्कूल ऑफ हाइज़ीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन' से आई वैज्ञानिकों की टीम में शामिल वॉल्टर गिब्सन ने यहां एक ऐसे शौचालय का प्रदर्शन किया जिसमें मल को इस तरह बदल दिया जाता है जो पर्यावरण के अनुकूल होता है और पशुओं के भोजन के तौर पर इसका इस्तेमाल भी किया जा सकता है. इस शौचालय का दक्षिण अफ्रीका में प्रयोग के तौर पर उपयोग भी किया जा रहा है.
पारम्परिक शौचालयों में बड़ी मात्रा में पानी बर्बाद होता है और विकासशील देशों में ये अकसर अव्यावहारिक भी होते हैं. संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि खराब शौचालयों की वजह से गंदगी बढ़ती है जिससे विकासशील देशों में बड़ी संख्या में लोग बीमार पड़ते हैं. संयुक्त राष्ट्र का ये भी आकलन है कि इसकी वजह से हर वर्ष लगभग 15 लाख बच्चों की मौत हो जाती है. गेट्स फॉउंडेशन ने भविष्य के शौचालय तैयार करने के लिए 37 करोड़ डॉलर का बजट रखा है और उम्मीद जताई है कि तीन वर्ष के भीतर इस संबंध में तमाम परीक्षण पूरे कर लिए जाएंगे.
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