सुप्रीम कोर्ट से कसाब की फांसी की सजा पर मुहर लग जाने के बाद अब कहा जा रहा है कि कसाब को जल्द से जल्द फांसी हो जाएगी। मगर, कानूनी जानकारों का कहना है कि कसाब के पास अब भी कई विकल्प हैं, जिनका वह इस्तेमाल कर सकता है।
कसाब रिव्यू पिटिशन दाखिल कर सकता है। रिव्यू पिटिशन में फैसले पर फिर से गौर का आग्रह किया जाता है। सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट डी.बी. गोस्वामी ने बताया कि यह याचिका उसी बेंच के सामने दाखिल होती है, जिसने फैसला दिया है। अगर रिव्यू पिटिशन खारिज हो जाए तो मुजरिम क्यूरेटिव पिटिशन दाखिल कर सकता है। आमतौर पर रिव्यू और क्यूरेटिव पिटिशन खारिज हो जाती है।
कोर्ट से अर्जी खारिज होने के बाद कसाब चाहे तो राष्ट्रपति के सामने दया की गुहार लगा सकता है। राष्ट्रपति सरकार से रिपोर्ट तलब करते हैं और फिर अपना फैसला देते हैं। दया याचिका खारिज होने के बाद कई बार मुजरिम दोबारा सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा इस आधार पर खटखटाते हैं कि दया याचिका के निपटारे में वक्त लगा है, इस आधार पर सजा में नरमी बरती जानी चाहिए। देवेंद्र पाल सिंह भुल्लर ने इसी आधार पर दया याचिका खारिज होने के बाद सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर रखी है।
सारी अर्जी खारिज होने पर जिस जेल में मुजरिम बंद होता है उस जेल का सुपरिंटेंडेंट उस निचली अदालत को लेटर लिखता है, जिसने पहली बार फांसी की सजा सुनाई होती है। उसके बाद अदालत मुजरिम के नाम डेथ वॉरंट जारी करता है। डेथ वॉरंट में फांसी का दिन और समय तय होता है।
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