सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि 1993 के मुंबई बम धमाकों के मामलों में उनको दोषी ठहराए जाने वाले फैसले को बरकरार रखा जाए। आर्म्स ऐक्ट के तहत दोषी ठहराए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर संजय दत्त की अर्जी पर सुनवाई के दौरान सीबीआई ने यह बात कही। साल 1993 में धमाकों के बाद मॉरिशस से शूटिंग कर लौटे संजय दत्त को मुंबई पहुंचते ही गिरफ्तार कर लिया गया था। उनको 18 महीने जेल रहना पड़ा। इसके बाद बाद कुछ शर्तों के साथ उन्हें जमानत दे दी गई थी।
2007 में स्पेशल टाडा कोर्ट ने उन्हें 9 एमएम पिस्टल और ए.के. 56 राइफल रखने का दोषी करार दिया और उन्हें 6 साल कैद की सजा सुनाई गई थी। अगस्त, 2007 में संजय ने खुद को दोषी ठहराए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की और जमानत की मांग की। इसके बाद नवंबर में उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया।
सीबीआई ने आज संजय दत्त की अपील का विरोध करते हुए कहा कि उन्हें दोषी ठहराए जाने तथा 6 साल कैद की सजा को कायम रखा जाए। हालांकि सीबीआई ने इस बात पर जोर नहीं दिया कि उनके खिलाफ टाडा के मामले चलाए जाएं। सूत्रों के मुताबिक सीबीआई को टाडा ऐक्ट के तहत लगाए गए आरोपों से संजय को बरी किए जाने के फैसले पर कोई आपत्ति नहीं है।
संजय ने अपनी अपील में कहा कि उनके पास 9 एमएम की पिस्टल सितंबर, 1992 से ही मौजूद थी। उन्होंने यह भी कहा कि उनके घर से या उनके पास से कोई हथियार या गोला-बारूद बरामद नहीं हुआ। गौरतलब है कि 12 मार्च, 1993 को मुंबई में एक के बाद एक कई ब्लास्ट हुए थे। इन धमाकों में 257 लोग मारे गए थे और 713 घायल हुए थे। धमाकों की वजह से 27 करोड़ की प्रॉपर्टी का नुकसान हुआ था। इस मामले में 123 लोगों पर मुकदमे चलाए गए। इनमें से टाडा कोर्ट ने 100 को दोषी ठहराया और बाकी लोगों को बरी कर दिया।
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