राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद ने शुक्रवार को कोयला खदानों के आवंटन पर आई नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रपट पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का बचाव किया। लेकिन उन्होंने कहा कि विस्तृत प्रतिक्रिया दस्तावेज पढ़ने के बाद ही देंगे। लालू ने मीडियाकर्मियों से कहा कि उन्होंने कोयला खदानों के आवंटन पर सीएजी की रपट अभी नहीं देखी है, लेकिन उन्होंने दोष अधिकारियों पर मढ़ना चाहा। उन्होंने कहा, "जो कुछ हुआ है उसे जानने के लिए अध्ययन जरूरी है.. यह देखना है कि किस अधिकारी ने यह सब किया।"
तीन वर्षो तक कोयला मंत्रालय का प्रभार देखने वाले प्रधानमंत्री की भूमिका के बारे में पूछे जाने पर लालू ने कहा, "प्रधानमंत्री के पास कई विभाग हैं।" सीएजी ने शुक्रवार को संसद में पेश की गई अपनी रपट में कहा है कि कोयला खदानों के आवंटन में यदि प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया अपनाई गई होती तो सरकारी खजाने को 1.85 लाख करोड़ रुपये (37 अरब डॉलर) की अतिरिक्त आमदनी हुई होती। सीएजी ने रपट में कहा है कि ऐसा, कोयला खदान आवंटन प्रक्रिया में पारदर्शिता न होने के कारण हुआ है। यह प्रक्रिया जून 2004 में शुरू होनी थी, लेकिन विभिन्न कारणों से इसमें भारी विलम्ब हुआ।
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