कोयला ब्लॉक के आवंटन में अनियमितता को आरोपों को निराधार व तथ्यहीन करार देते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सोमवार को कहा कि इस पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट इसके अनुमानों तथा गणना के कारण 'स्पष्ट तौर पर विवादास्पद' एवं 'गलत' है। सीएजी की रिपोर्ट पर लोकसभा और राज्यसभा में सदन के पटल पर रखे गए अपने बयान में मनमोहन सिंह ने अपना तथा अपनी सरकार का बचाव किया। उन्होंने कहा, "मैं सदस्यों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि कोयला मंत्रालय का प्रभार मेरे पास होने के नाते मैं इस मंत्रालय के सभी निर्णयों की पूरी जिम्मेदारी लेता हूं। मैं कहना चाहता हूं कि अनियमितता का कोई भी आरोप निराधार एवं तथ्यहीन है।"
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्यों के हंगामे के कारण प्रधानमंत्री का बयान लोकसभा और राज्यसभा में नहीं सुना जा सका, जिसके कारण इसे संसद के दोनों सदनों के पटल पर रखा गया। भाजपा सीएजी की रिपोर्ट पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से इस्तीफे की मांग कर रही है। सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में आरोप लगाया है कि कोयला ब्लॉक्स के आवंटन में पारदर्शिता नहीं बरती जाने के कारण सरकारी खजाने को 1.86 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। सीएजी की रिपोर्ट को 'विवादास्पद' व 'गलत' करार देते हुए प्रधानमंत्री ने इसे संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) के समक्ष चुनौती देने की बात कही। संसद के दोनों सदनों के पटल पर अपना बयान रखे जाने के बाद संवाददाताओं से बातचीत में प्रधानमंत्री ने कहा, "मैं देश को आश्वस्त करना चाहता हूं कि हमारा पक्ष मजबूत व विश्वसनीय है। सीएजी का आकलन विवादास्पद है और हम इसे पीएसी के समक्ष चुनौती देंगे।"
उन्होंने विपक्षी दल भाजपा से कहा कि वह संसद की कार्यवाही चलने दे। उन्होंने कहा कि वह इस बात से दुखी हैं कि संसद के दोनों सदनों में कामकाज नहीं होने दिया जा रहा और भाजपा संसद की कार्यवाही नहीं चलने देने के लिए प्रतिबद्ध है। प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें संसद में अपनी बात रखने तथा लोगों तक इसे पहुंचाने का मौका मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि आम तौर पर वह अपनी प्रायोजित आलोचनाओं का जवाब नहीं देते। लेकिन इस बार वह अपनी बात रखने देने का मौका चाहते हैं।
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