एलियंस से भरा है अपना आकाश !!! - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 1 अगस्त 2012

एलियंस से भरा है अपना आकाश !!!


हाजिर हैं हर किस्म के नायाब एलियंस....


पूरी दुनिया एलियंस आने अन्तरिक्ष, दूर ग्रहों से आने वाले यात्रियों की खोज-पड़ताल में लगी हुई है। विभिन्न ग्रहों-उपग्रहों से धरती के किसी भी कोने मेें सायास, अनायास या दुर्घटनास्वरूप आ धमकने वाले एलियंस वैज्ञानिकों के साथ ही आम धरतीवासियों के लिए  जिज्ञासाओं के महानतम केन्द्र हैं। हम भी उन्हीं लोगों में शुमार हैं जिन्हें एलियंस की झलक देखने का आनंद पाना है। दुनिया के हर देश का आम औ‘ ख़ास देखना चाहता है एलियंस को, और जानना चाहता है कि आखिर एलियंस हैं कौन, कहाँ से आते हैं, क्या करते हैं और इनमें कौन-कौन सी खूबियाँ हैं। सदियों से अन्तरिक्ष से आने वाले अजीब यात्रियों के बारे में उत्सुकता बनी हुई है। विश्व भर में विभिन्न स्थानों पर इन एलियंस के बारे मेें टोह रखी जा रही है। हर कहीं यह देखने-सुनने को मिलता है कि उनके वहां एलियंस देखा गया है। एलियंस को जानने, देखने और समझने की जद्दोजहद के बीच हमें यह जान लेना होगा कि हमारे अपने इलाकों में भी ऐसे-ऐसे लोग मौजूद हैं जो किसी भी मायने में एलियंस से कम नहीं हैं बल्कि इनका अगर कभी एलियंस से मुकाबला हो जाए तो वे असली एलियंस उल्टे पंख अपने -अपने ग्रहों को लौट जाएं और तब हो सकता है हमारे एलियंसों की करतूतों को देख कर फिर शायद ही दूसरे ग्रह का कोई यात्री धरती पर आने की मूर्खता करे।

हमारे बीच ऐसे-ऐसे खूंखार एलियंस हैं जिनका कोई सानी नहीं है। ये एलियंस समाज-जीवन के हर क्षेत्र में पसरे हुए अपने करतब दिखा रहे हैं। हवा में बात करने वाले, हवाओं से बात करने वाले, हवा में उड़ने और उड़ाने वालों से लेकर हवाई किले बना डालने तक के नायाब हुनरों से सुसज्जित हैं हमारी पावन धरा के ये किसम-किसम के एलियंस। अपने पूरे इलाके में हर कहीं बहुत सारे एलियंस हो गए हैं जो हवा में उड़ने लगे हैं। बिना किसी मेहनत के पराए माल को अपना बनाने की जुगत में हर क्षेत्र में ऐसे-ऐसे एलियंस आ गए हैं कि बस।  एजुकेशनल एलियंस, पॉलिटिकल एलियंस, सोशल एलियंस, इकोनोमिक एलियंस, एनक्रोचमेंट एलियंस, घसियारे एलियंस, स्पिरिच्यूअल एण्ड रिलीजियस एलियंस, एडमिस्ट्रेटिव एलियंस, टाईमपास एलियंस, विघ्नसंतोषी और कामबिगाड़ू एलियंस, हरामखोर एलियंस, उन्मादी और विक्षिप्त एलियंस और ढेर सारे...। कहाँ-कहाँ तक गिनाते रहें। एलियंस की एक पूरी की पूरी जात है जो चेयर-पॉवर के बिग एलियंसों केे पीछे-पीछे दिन-रात भागती फिरती है। अपने यहाँ आदमियों की इस अलग ही जात के बाहुल्य को देखते हुए कहा जा सकता है कि अपनी पावन धरा एलियंस इंटरनेशनल का अन्तर्राष्ट्रीय मुख्यालय हो सकता है, और इनका ट्रेनिंग सेंटर भी।

एलियंसों में भले ये खूबियाँ न भी हों, मगर अपने एलियंसों में वे सारी ख़ासियतें हैं जिनकी बदौलत इन्हें ब्रह्माण्ड भर के विलक्षण एलियंस के रूप में जाना जा सकता है। इन एलियंसों की सबसे बड़ी विशेषता यही होती है कि हवाओं और उड़ान से इनका सीधा संबंध होता है। जिस बात में वजन हो उसी पर ध्यान देंगे, वजन न हो तो अनुसनी कर देंगे या हवा मंे उड़ा देंगे। इनकी एक-दो फीसदी को छोड़ कर सारी बातें हवाओं में ही होती हैं। जो भी काम कहो, पक्का भरोसा दे देंगे लेकिन होगा कुछ नहीं। होगा वो ही जिसमें मलाई, मेवा, मावा और गांधी छाप की भरमार हो।  यों भी आजकल हर कोई गांधीछाप की बात करता है। गांधी छाप का वजूद होगा तो दुनिया हिला देंगे, और कोरे कागज होंगे तो अपन को हिला देने का भरपूर सामर्थ्य इनमें बरकरार है। रोजाना की दिनचर्या से लेकर विशेष मौकों और बेमौकों की बात करें तो अपने ढेरों एलियंसों का कोई जमीनी आधार नहीं होता बल्कि बिना किसी आधार के कहीं न कहीं किसी बड़े आदमी के जिस्म के साथ अमरबेल की तरह लटके हुए ये लोग चमड़े के सिक्के चलाने के सारे गुर पा जाते हैं। इन चिमगादड़ी एलियंसों की उन सभी बाड़ों और गलियारों में भरमार है जहां न शिक्षा को कोई मान है और न ही चरित्र और ईमानदारी को। बड़े पेड़ पर उल्टे लटके और चिपके हुए ये लोग धरती को ही आसमान समझ कर दंभ का व्यवहार करते हैं।

कई एलियंस अपने से बड़े एलियंसों के पीछे दिन-रात भागने में मस्त हैं। जो जितना भागेगा, उतना अधिक पाएगा और भोगेगा। फिर आजकल आदमी की औसत आयु के साथ ही वह आयु भी सीमित है जिसके दायरे में रहकर वो सब कुछ पाया जा सकता है, जिसके लिए पॉलिटिक्स की रचना हुई है। एलियंसों की श्रृंखला का निर्माण भी इसी तरह होता रहता है। एक-दूसरे से कुछ न कुछ पाने के फेर में एलियंसों की पूरी जमात ताज़िन्दगी मजबूत घेरों वाली श्रृंखला में सुरक्षित रहती है ताकि पारस्परिक लाभ पाते हुए अपने आपको जीवित रख सकें। इन एलियंसों के लिए कोई आचार संहिता नहीं है बल्कि इनकी महारत आचार-विचारों को धत्ता दिखाते हुए अपने उल्लू सीधे करने की कला से पहचानी जाती है और यही इनकी प्रतिष्ठा और प्रोन्नति का एकमेव आधार होता है। जो जितना अधिक अमानवीय है, वह उतना ज्यादा प्रतिष्ठित। अपने चारों ओर अजीब-अजीब तरह के एलियंसों की सत्ता काबिज है। इनकी बॉड़ी लैंग्वेज देख कर अच्छी तरह बताया जा सकता है कि ये पूर्वजन्म में क्या थे। बेड़ौल जिस्म, वीभत्स मोटापा, बेवजह गुस्सा और चिल्लाहट से भरी हर अभिव्यक्ति,  अजीबोगरीब मुद्राओं का प्रदर्शन और गिद्ध कल्चर के हर फन में माहिर इन लोगों को देख उन सभी द्वीपों की याद ताजा हो उठती है जो कबीला युग के पर्याय रहे हैं। न इनकी चाल अच्छी रह पाती है, न चलन।

मनुष्य का स्वरूप प्राप्त होने के बावजूद अजब-गजब करतूतों और हरकतों या कि हथकण्डों में दिन-रात घुसे रहने वाले इन एलियंसों से तो शायद वे असली एलियंस कम खतरनाक ही होते होंगे। अपने एलियंस तो ऐसे हैं कि उनके हर काम में बाज़ आ ही जाता है। मसलन चालबाज, धोखेबाज, धंधेबाज..... आदि आदि। जरूरत तो अपने आस-पास मनुष्य शरीर लिए मण्डराने वाले एलियंसों के बारे में शोध और अध्ययन की है ताकि सच्चाई सामने आ सके कि मनुष्य योनि पाने के बावजूद ये पशुता और पैशाचिकता के बीज तत्व कब मानवजाति में घुस आए। सावधान रहें, अपने आस-पास के एलियंसों से। ये कभी भी, कुछ भी कर सकते हैं। इनका जन्म ही हलचल पैदा करने और विध्वंस को जीवंत रखने के लिए हुआ है। अन्तरिक्ष से आए एलियंस तो कुछ क्षण धरती पर चक्कर काट कर गायब हो जाते हैं मगर अपने ये एलियंस तो अपनी सारी कु-करतूतों और असामाजिकताओं के साथ समाज की छाती पर तब तक मूंग दलते रहेंगे जब तक कि ऊपर से बुलावा न आ जाए। ईश्वर इन सारे एलियंसों को मुक्ति प्रदान करे, यही कामना है।


---डॉ. दीपक आचार्य---
9413306077

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