बिहार इंटरकर्मियों की हड़ताल को मंगलवार को पन्द्रहवें दिन पूरे हो गये। इन पन्द्रह दिनों में बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की ओर से कोई सार्थक पहल नहीं की गयी। इसकी वजह से मामला पूरी तरह से फंस गया है। हड़ताल समाप्त होने के आसार दूर-दूर तक नहीं दिख रहे हैं। कर्मचारी अपनी जिद पर अड़े हुए हैं। समिति प्रशासन का कहना है कि कर्मचारियों की मांग का पत्र सरकार के पास भेज दिया गया है।
अब सरकार की ओर से रिक्त पदों के लिए स्वीकृति के लिए पत्र भेजा गया है। अब सरकार रिक्त पदों के लिए आदेश भेजगी तो कुछ संभव है। राज्यभर में शिक्षकों के नियोजन की प्रक्रिया चल रही है। इस नियोजन में सैकड़ो छात्रों को प्रमाण-पत्र जमा करना है। समिति की ओर से कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं किए जाने से किसी छात्र को प्रमाण-पत्र निर्गत नहीं किया जा रहा है।
एक अभ्यर्थी ने बताया कि अभी तक प्रमाण-पत्र के लिए कई बार चक्कर लगा चुका हूं। पर कर्मचारियों की हड़ताल है। कोई सुनने वाला नहीं है। बिहार विद्यालय परीक्षा समिति आराम फरमा रही है। छात्रों के लिए अलग से कोई व्यवस्था नहीं की जा रही है। ऐसे सैकड़ो छात्रों को बगैर काम कराए लौटना पड़ रहा है। कर्मचारी संगठन के अध्यक्ष संजय कुमार, महासचवि अनिल कुमार, सह संयोजक कालीदास सिन्हा, संयोजक श्याम सुंदर प्रसाद ने कहा कि पहले सरकार ने पांच वर्षो तक झुलाया। इसके बाद समिति प्रशासन टरका रहा है। उन्होंने कहा कि शैक्षिक कैलेंडर के अनुसार सितम्बर माह में मैट्रिक और इंटर के छात्रों का पंजीयन का कार्य प्रारंभ हो जाता है। साथ ही अक्टूबर माह में परीक्षा प्रपत्र भरने का कार्य भी शुरू होता है। ऐसी में हड़ताल अगर समाप्त नहीं होती है तो परीक्षा पर इसका दूरगामी प्रभाव पड़ेगा। कर्मचारी अपनी जायज मांगों पर अडिग हैं। समंजन नहीं होने की स्थिति में कर्मियों को षष्ठम वेतनमान, एसीपी का लाभ, प्रोन्नति का लाभ नहीं मिलेगा।
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