भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के दौरान जुटी रकम को अन्ना हजारे वापस नहीं लेंगे। यह रकम अरविंद केजरीवाल के पास है। उन्होंने इसे अन्ना को देने की पेशकश भी की है, लेकिन हजारे ने मना कर दिया है। यह राशि करीब दो करोड़ रुपए की बताई जा रही है।
अन्ना ने पिछले दिनों हुई बैठक में अपने समर्थकों को बताया था कि केजरीवाल ने उन्हें राशि लौटाने की पेशकश की थी, लेकिन उन्होंने इससे इनकार कर दिया। मीटिंग में मौजूद लोगों के मुताबिक, अन्ना ने केजरीवाल से कहा था कि वे पैसे अपने पास रखें। अन्ना ने 19 सितंबर को एक मीटिंग के बाद घोषणा की थी कि अब केजरीवाल और उनके रास्ते अलग हैं। इसके अगले दिन दिल्ली के महाराष्ट्र सदन में अन्ना समर्थकों की एक बैठक हुई। इसमें रकम के मसले पर चर्चा हुई थी। हालांकि अन्ना समर्थकों के एक वर्ग की राय है कि आंदोलन चलाने के लिए उन्हें धन की जरूरत होगी। लिहाजा केजरीवाल से पैसे वापस ले लेने चाहिए। लेकिन हजारे का कहना है कि धन का मुद्दा इस लड़ाई का बिंदु नहीं होना चाहिए।
अरविंद केजरीवाल ने रविवार को कहा, 'कुछ लोग कहते हैं कि अन्ना हमसे अलग हो गए हैं। लेकिन वे हमारे दिलों में हैं। उन्हें हमसे दूर कोई नहीं कर सकता।' उन्होंने कहा, 'हममें ऐसा कोई बड़ा मतभेद नहीं है। यह तो बस इतना है कि वे मानते हैं कि राजनीति गंदी है। हम सोचते हैं कि राजनीति की गंदगी को साफ करने के लिए हमें इसमें आना ही होगा। यदि हम ईमानदारी से काम करते रहे तो तीन चार माह बाद अन्ना हमारे साथ लौट आएंगे।'
केजरीवाल ने 300 कार्यकर्ताओं के साथ जंतर-मंतर परदिल्ली सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। मांग थी बिजली की दरों में बढ़ोतरी वापस लेने की। केजरीवाल ने कहा, 'बिजली का शुल्क दोगुना हो गयाहै। जहां पहले लोग 200 यूनिट बिजलीकी खपत के लिए 500 रुपए देते थे। अब 1,000 रुपए देने पड़ रहे हैं। '
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