सुप्रीम कोर्ट ने न्यायालय की अवमानना के जुर्म में दोषी ठहराए गए प्रमुख वकील आरके आनंद से कहा है कि वह गरीब तबके को मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान करें या फिर सजा का सामना करने के लिए तैयार रहें।
न्यायालय की अवमानना के जुर्म में छह महीने तक की कैद की सजा हो सकती है। न्यायालय ने आरके आनंद को बहुचर्चित बीएमडब्लू कार दुर्घटना कांड के गवाहों को प्रभावित करने के प्रयास के आरोप में न्यायालय की अवमानना का दोषी ठहराने के निर्णय को 29 जुलाई, 2009 को सही ठहराया था।
न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी, न्यायमूर्ति आफ्ताब आलम और न्यायमूर्ति चंद्रमौलि कुमार प्रसाद की खंडपीठ ने इस प्रस्ताव पर विचार के लिए आरके आनंद को एक सप्ताह का समय दिया है। इस याचिका पर अब 24 सितंबर को आगे सुनवाई होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने 29 जुलाई, 2009 को कार दुर्घटना के मामले में न्याय की प्रक्रिया को प्रभावित करने के प्रयास के आरोप में आरके आनंद को वरिष्ठ अधिवक्ता की पदवी से वंचित करने और उन्हें न्यायालय की अवमानना का दोषी ठहराने के उच्च न्यायालय के निर्णय को सही ठहराया था। न्यायालय ने इसके साथ ही आनंद से पूछा था कि क्यों न उनकी सजा बढ़ा दी जाए।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने आरके आनंद और वरिष्ठ अधिवक्ता आईयू खान को न्याय के प्रशासन में बाधा डालने का दोषी ठहराते हुए उनक अदालत में पेश होने पर चार महीने के लिए पाबंदी लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने आईयू खान को न्यायालय की अवमानना का दोषी ठहराने के निर्णय को निरस्त कर दिया था। शीर्ष अदालत ने पिछले साल तीन मई को आर के आनंद द्वारा बिना शर्त क्षमा याचना के लिए प्रयुक्त शब्दों और उसकी भाषा पर असंतोष व्यक्त किया था।
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