दिल्ली के विज्ञान भवन में प्रधानमंत्री के खिलाफ नारेबाजी करने वाले वकील संतोष कुमार ने कहा कि मेरा विरोध करने का पहले से कोई इरादा नहीं था. संतोष का कहना है कि वास्तव में किसी भी तरह की नारेबाजी का मेरा पहले से कोई इरादा नहीं था लेकिन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को विज्ञान भवन में देखते ही मैं अपने आप को रोक नहीं सका. उन्होंने कहा देश का हर आम आदमी आज महंगाई के बोझ तले दबा जा रहा है और इस सब के लिए प्रधानमंत्री सबसे अधिक जिम्मेदार हैं. ऐसे में प्रधानमंत्री को बोलने का कोई अधिकार नहीं है.
संसद मार्ग थाने से छूटने के बाद संतोष ने कहा, 'मैंने जब पीएम को भाषण देने के लिए बढ़ते देखा तो मुझे गुस्सा आ गया. मुझे लगा कि ऐसे भ्रष्ट पीएम को लोगों को संबोधित करने का अधिकार नहीं है. इसके बाद मैं मेज पर चढ़ गया और मैंने नारेबाजी शुरू कर दी.' मनमोहन सिंह शनिवार को विज्ञान भवन में सुप्रीम कोर्ट के कुछ जजों और कई हाईकोर्ट के जजों के साथ एक बैठक कर रहे थे. इस कड़ी में सुप्रीम कोर्ट के जज आगे की पंक्ति में बैठे थे और हाईकोर्ट के जज उनसे पीछे की पंक्ति में बैठे थे.
एक व्यक्ति अचानक विज्ञान भवन में दाखिल हुआ. अगली पंक्ति में आकर अपना शर्ट उतारकर ‘प्रधानमंत्री वापस जाओ’ के नारे लगाने लगा. इसी बीच सफेद शर्ट और काली पैंट पहने एक व्यक्ति अचानक विज्ञान भवन में दाखिल हुआ. उसके बाद अगली पंक्ति में आकर उस व्यक्ति ने अपना शर्ट उतारकर ‘प्रधानमंत्री वापस जाओ’ के नारे लगाने लगा. वह व्यक्ति डीजल मूल्य बढ़ोत्तरी का विरोध कर रहा था. इस बीच जब तक सुरक्षा कर्मी उस व्यक्ति को समझ पाते वह कई बार नारेबाजी कर चुका था. बाद में वहां मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने उसे धर दबोचा. उसको विज्ञान भवन के ऊपरी मंजिल में एक विशेष कक्ष में रखा गया है. उससे पूछताछ चल रही है.
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