दोहे और उक्तियाँ !! - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 3 सितंबर 2012

दोहे और उक्तियाँ !!

कबीर यह मन मसखरा, कहूँ तो मानै रोस 
जा मारग साहिब मिलै, तहाँ न चालै कोस
-कबीर-

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