हम भले ही अपनी एयरफोर्स की काबिलियत पर सीना फुलाए फिरते हों लेकिन एक जाने-माने अमेरिकी थिंक टैंक के मुताबिक करगिल युद्ध भारतीय वायुसेना का कमजोर परीक्षण था। ये थिंक टैंक भारत को नसीहत भी देता है कि चीन और पाकिस्तान की ओर से खतरे को देखते हुए भारत को अपनी रक्षा क्षमताएं मजबूत करनी होंगी। गुरुवार को जारी 70 पेज की रिपोर्ट में कहा गया है कि करगिल युद्ध की भले ही हैप्पी एंडिंग हुई हो लेकिन भारतीय वायुसेना ने इस युद्ध में अपने अभियान को सीमित रखा। भारतीय लड़ाकू पायलटों ने वही किया जो वो कर सकते थे, बजाय कि जो उनसे करवाया जा सकता था।
रिपोर्ट के मुताबिक युद्ध के दौरान पारदर्शिता और भारतीय वायुसेना और थल सेना के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच संपर्क का अभाव दिखा। रिपोर्ट में घुसपैठ के बारे में खुफिया सूचना न होने को लेकर भारतीय एजेंसियों पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं। रिपोर्ट के अनुसार कारगिल युद्ध से साफ है कि द्विपक्षीय परमाणु प्रतिरोध क्षमता क्षेत्रीय स्थिरता की गारंटी नहीं है। रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान ने यह गलत अनुमान लगाया था कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय तुरंत कश्मीर में संघर्ष विराम करा देगा ताकि दोनों देश के बीच परमाणु युद्ध न भड़के। इसका परिणाय यह होता कि पाकिस्तान का नियंत्रण रेखा के उस भारतीय हिस्से पर कब्जा हो जाता जिसे उसने आसानी के साथ हासिल किया था।
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