मद्रास उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कुडनकुलम परमाणु विद्युत परियोजना (केएनपीपी) के खिलाफ दायर याचिकाओं को खारिज करते हुए भारतीय परमाणु विद्युत निगम लिमिटेड (एनपीसीआईएल) को परियोजना के पहले रिएक्टर में ईंधन भरने की सहमति दे दी। यह परियोजना तमिलनाडु के तिरुनेलवेली जिले में स्थापित की जा रही है।
तिरुनेलवेली चेन्नई से लगभग 650 किलोमीटर की दूरी पर है। एक वकील एम वेट्रीसेल्वन ने कहा कि 1,000 मेगावॉट के दो रिएक्टर स्थापित किए जाने के खिलाफ दायर याचिकाओं का निपटारा करते हुए अदालत ने कहा कि परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड (एईआरबी) इस मामले में विशेषज्ञता प्राप्त है। इस निकाय ने सुरक्षा के पहलुओं का मुआयना कर सुरक्षा उपायों पर संतोष प्रकट किया है।
वेट्रीसेल्वन याचिका दायर करने वाले जी सुंदरराजन का प्रतिनिधित्व कर रहे अधिवक्ता एम राधाकृष्णन के कनिष्ठ सहयोगी हैं। सुंदरराजन ने एनपीसीआईएल को रिएक्टर में ईंधन भरने की एईआरबी द्वारा दी गई स्वीकृति को चुनौती दी थी। वेट्रीसेल्वन के अनुसार, अदालत ने यह भी कहा कि इस परियोजना के लिए तटीय विनियमन परिक्षेत्र (सीआरजेड) तथा पर्यावरण मंत्रालय से एक बार फिर स्वीकृति लेने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि जापान के फुकुशिमा में हुई परमाणु दुर्घटना के मद्देनजर गठित कार्यबल द्वारा की गई सिफारिश के अनुरूप सुरक्षा उपायों को लागू किए जाने के मुद्दे पर अदालत ने कहा कि यह एईआरबी तय करेगा कि सुरक्षा उपाय कब लागू किए जाने चाहिए।
अदालत ने कहा कि केएनपीपी में सभी सुरक्षा उपाय एनपीसीआईएल द्वारा लागू किए जाने चाहिए। अदालत ने तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (टीएनपीसीबी) को पर्यावरण के पहलुओं की निगरानी करने तथा संयंत्र के कचरे को समुद्र में बहाने से उत्पन्न होने वाली स्थिति का आकलन करने के निर्देश भी दिए।
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