केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अनुसूचित जातियों (एससी) और अनुसूचित जनजातियों (एसटी) को सरकारी नौकरियों में प्रोन्नति के लिए आरक्षण मुहैया कराने से सम्बंधित संशोधन विधेयक को मंगलवार को मंजूरी दे दी। प्रोन्नति में आरक्षण मुहैया कराने का निर्णय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में पिछले महीने 21 अगस्त को हुई सर्वदलीय बैठक में लिया गया था।
सर्वोच्च न्यायालय ने सरकारी नौकरियों में आरक्षण देने के उत्तर प्रदेश सरकार के निर्णय को रद्द कर दिया था। उसके बाद बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने संसद में यह मुद्दा उठाया। बसपा ने मांग की कि आरक्षण देने के लिए संविधान में संशोधन किया जाए। बसपा ने अपने शासनकाल में उत्तर प्रदेश में आरक्षण मुहैया कराया था।
एक सरकारी सूत्र ने कहा कि प्रस्तावित विधेयक संविधान के कम से कम चार अनुच्छेदों में संशोधन की मांग करता है, ताकि सरकार एससी/एसटी को प्रोन्नति में आरक्षण मुहैया कराने में सक्षम हो सके। यह विधेयक अनुच्छेद 16(4) में दर्ज 'अपर्याप्त प्रतिनिधित्व' शब्द को हटाने की मांग करता है, ताकि प्रोन्नति व नियुक्तियों में आरक्षण को जायज ठहराया जा सके। विधेयक अनुच्छेद 335 में दर्ज शब्द 'प्रशासन की कुशलता' को एससी/एसटी के लिए नौकरियों और प्रोन्नतियों के दावों से असम्बद्ध करना चाहता है।
सूत्र ने कहा कि सरकार के शीर्ष कानून अधिकारी, महान्यायवादी जीई वाहनवती की सलाह के बाद संविधान के अनुच्छेद 341 और 342 में भी बदलाव किए जाएंगे। यह विधेयक बुधवार या गुरुवार को संसद में पेश किया जा सकता है। संसद का मानसून सत्र शुक्रवार को समाप्त हो रहा है।
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