तृणमूल कांग्रेस के समर्थन वापसी के बाद मुश्किल में दिख रही यूपीए सरकार को मुलायम सिंह की समाजवादी पार्टी का साथ मिल गया है। मुलायम ने तमाम अटकलों को खारिज करते हुए शुक्रवार को कहा कि वह सांप्रदायिक ताकतों को सत्ता से दूर रखने के लिए यूपीए सरकार को समर्थन देते रहेंगे। सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि मायावती ने भी सरकार को बाहर से समर्थन देते रहने के भारोसा दिलाया है, लेकिन इस बारे में पार्टी ने आधिकारिक रूप से कोई बयान नहीं दिया है।
मुलायम सिंह यादव ने कहा, 'हमारा समर्थन स्पष्ट है। हम सांप्रदायिक ताकतों को सत्ता में नहीं आने देंगे। इसीलिए मैं समर्थन कर रहा हूं। मैं यूपीए में नहीं हूं। लेकिन हम समर्थन कर रहे हैं, ताकि सांप्रदायिक शक्तियां आगे नहीं बढ़ सकें।' यह पूछे जाने पर कि क्या उनकी पार्टी यूपीए से समर्थन वापस लेगी, मुलायम ने कहा, 'हम समर्थन वापस क्यों लेंगे? हमें सांप्रदायिक शक्तियों को सत्ता से दूर रखना है।'
मुलायम का बयान यूपीए के लिए बड़ी राहत की बात है। लोकसभा में संख्या तृणमूल के समर्थन वापस लेने के बाद यूपीए के सदस्यों की संख्या 273 से घटकर 254 रह गई है। बाहर से समर्थन कर रही समाजवादी पार्टी (22) और बहुजन समाज पार्टी (21) के कारण गठबंधन के पास 545 सदस्यीय लोकसभा में 300 से अधिक सांसदों का समर्थन होगा। सरकार के पास साधारण बहुमत के लिए कम से कम 273 सांसदों का समर्थन होना चाहिए।
सरकार को समर्थन जारी रखने के ऐलान के साथ ही मुलायम ने यह भी स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी यूपीए की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ है। पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि देश का अगला आम चुनाव थर्ड फ्रंट ही जीतने जा रहा है। बीजेपी और कांग्रेस, दोनों की हार होगी। उन्होंने कहा कि थर्ड फ्रंट की जीत के बाद उसका नेतृत्व कौन करेगा, यह चुनाव के बाद तय किया जाएगा।
वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए पत्रकारों ने जब मुलायम सिंह से मध्यावधि चुनाव की आशंका पर सवाल किया, तो सीधा सा जवाब मिला कि आखिर मध्यावधि चुनाव है कहां? यह कांग्रेस पर है कि वह सरकार चलाना चाहती है या फिर मध्यावधि चुनाव चाहती है। मुलायम ने कहा कि सरकार के पास बहुमत का आंकड़ा है या नहीं यह सिर्फ संसद में ही तय हो सकता है।
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