परिवहन विभाग ने निजी वाहनों के व्यावसायिक उपयोग पर रोक लगाने का फरमान फिर से जारी किया है। विभाग के प्रधान सचवि रजनीश कुमार महाजन ने सभी जिला परवहिन पदाधिकारियों (डीटीओ) को निर्देश दिया है कि निजी वाहनों के व्यावसायिक उपयोग पर हर हाल में रोक लगे।
ऐसे वाहनों की नियमित रूप से सघन जांच की जाए। दरअसल केन्द्र व राज्य सरकार के दफ्तरों में सैकड़ों निजी वाहनों का व्यावसायिक उपयोग हो रहा है। कई लोग अपने निजी वाहनों को सरकारी दफ्तरों किराये पर दिए हुए हैं। इन निजी वाहनों का व्यावसायिक रजिस्ट्रेशन नहीं किया गया है।
रेलवे, आयकर विभाग, महालेखाकर, बीएसएनएल, डाकघर सहित राज्य सरकार के दर्जनों विभागों में भाड़े के वाहन चल रहे हैं लेकिन इनमें अधसिंख्य वाहनों का निजी रजिस्ट्रेशन है। अधसिंख्य वाहन मालिक अपने निजी वाहनों को भाड़े पर लगा रहे हैं लेकिन वे व्यावसायिक रजिस्ट्रेशन नहीं करा रहे हैं। चूंकि निजी वाहनों से रजिस्ट्रेशन फीस एक ही बार ली जाती है लेकिन व्यावसायिक वाहनों की रजिस्ट्रेशन फीस छह माह या सालभर में जमा करनी है। यही नहीं व्यावसायिक वाहनों की रजिस्ट्रेशन फीस भी अधिक है इसलिए वाहन मालिक व्यावसायिक रजिस्ट्रेशन कराने से कतराते हैं। व्यावसायिक वाहनों का नंबर प्लेट पीला होता है लेकिन इन भाड़े के वाहनों का नंबर प्लेट काला व उजला है। परवहिन विभाग को लाखों रुपए के राजस्व का घाटा हो रहा है। विभाग ने पहले भी कई बार निजी वाहनों के व्यावसायिक उपयोग पर रोक लगाने की कोशशि की लेकिन इसमें विभाग को पूरी सफलता नहीं मिली।
बिहार विधान सभा में कई सदस्यों ने पूरे राज्य में निजी वाहनों के व्यावसायिक उपयोग को पदाधिकारियों द्वारा नियंत्रित नहीं किए जाने के कारण राजस्व क्षति की ओर ध्यान आकृष्ट कराया था। इसके बाद परवहिन विभाग ने निजी वाहनों के खिलाफ सघन जांच अभियान चलाकर राजस्व क्षति को रोकने का आदेश जारी किया है।
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