चर्चित लेखक सलमान रुश्दी ने माना है कि 1988 में उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी को जो लेटर लिखा था वह अहंकार, गुस्से और गुस्ताखी से भरा था। रुश्दी ने अपनी किताब 'द सटैनिक वर्सेज' पर भारत में बैन लगने के बाद आलोचना के तौर पर यह लेटर लिखी थी। अब 24 साल बाद उनका कहना है कि किताब पर बैन को लेकर उनकी प्रतिक्रिया बहुत गुस्ताखी भरी थी।
गौरतलब है कि रुश्दी की हालिया किताब जोसेफ एंटन मंगलवार को स्टॉल पर आ गई। यह एक जीवनी है जिसमें उन्होंने द सटैनिक वर्सेज के खिलाफ जारी ईरानी फतवे और उसके बाद छुपते-छुपाते बिताए वक्त के बारे में लिखा है। रुश्दी लिखते हैं कि उनके पारिवारिक मित्र और लंदन में भारत के उप उच्चायुक्त सलमान हैदर ने उन्हें फोन कर बताया था कि द सटैनिक वर्सेज को भारत में बैन कर दिया गया है। वह लिखते हैं कि मिडनाइट्स चिल्ड्रेन को भारत में जिस उत्साह के साथ स्वीकार किया गया उसके बाद द सटैनिक वर्सेज पर लगे बैन ने उन्हें बहुत तकलीफ दी थी। लेटर के बारे में रुश्दी कहते हैं, उपन्यासकारों से इस तरह के बर्ताव की आशा नहीं की जाती है। एक प्रधानमंत्री पर चिल्लाना। वह अहंकार भरा था। गुस्ताखी भरा था।
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