बिहार लिंग अनुपत में पीछे जा रहा है. भारत के लगभग हर राज्य में लिंग अनुपात में काफी अंतर है.लेकिन बिहार के मोतिहारी शहर में लड़कों की अपेक्षा में लड़कियों की संख्या में काफी अंतर पाया गया है. हैरान करने कि बात तो ये है कि मोतिहारी में महिला साक्षरता 83 .52 प्रतिशत है. जो राज्य के और शहर से ज्य़ादा है. फिर भी यहां लड़कियों की संख्या में कम है. इस मामले पर मोतिहारी के जिलाधिकारी अभिजीत सिन्हा ने पूरी चिंता जताई और कहा कि बच्चों की अपेक्षा बच्चियों की संख्या घटना काफी ख़राब हैं और इसे गंभीरता से लिया जायेगा. हर संभव प्रयास कर बच्चों और बच्चियों के इस जनसंख्या के बीच के कमी को मिटाया जायेगा.
जनगणना के अनुसार भारत में 1000 लड़कों की अपेक्षा में लड़कियों की संख्या 940 है और बिहार में 1000 लड़कों की तुलना में लड़कियों की संख्या 951 है. राजधानी पटना सहित बिहार के 13 शहरों में 1000 लड़कों की अपेक्षा में लड़कियों की संख्या 900 से भी नीचे आ गई है. सबसे बड़ी बात तो ये है की जो शहर महिला साक्षरता में ऊपर है वहीं पर बच्चियों की तादाद सबसे कम है.
जनगणना 2011 के ताजा आकड़ों के अनुसार बिहार के 26 शहरों में एक भी शहर में लड़कियों संख्या लड़कों के बराबर नहीं है. प्रति हजार बच्चो पर सबसे कम बच्चियों की संख्या मोतिहारी में है. मोतिहारी में 1000 लड़कों की तुलना में मात्र 836 लड़कियां हैं. मोतिहारी स्वास्थ्य महकमे को संभाले वाली सिविल सर्जन डॉ सरोज सिंह का कहना है कि यहां के लोग अभी भी रूढी वादी मान्यता में जीते है. जिस कारण आज भी यहां के लोग बच्चियों को वरदान नहीं बल्कि अभिशाप समझते है. जिसे ख़त्म करना चाहिए और इसमें मीडिया का भी सहयोग चाहिये. लिंग अनुपात में इस अंतर का कहीं ना कहीं नाता दहेज़ प्रथा से जुड़ा हुआ है. आज भी हमारे समाज के लोग लड़कियों दहेज़ प्रथा के चलते नहीं चाहते.
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