सूचना एवं प्रसारण मंत्री अम्बिका सोनी ने देशद्रोह कानून की समीक्षा करने का आग्रह किया है. कार्टूनिस्ट असीम त्रिवेदी को जेल के सलाखों के पीछे डालने से सूचना एवं प्रसारण मंत्री अम्बिका सोनी को इस कदर पीड़ा हुई कि उन्होंने देशद्रोह कानून की ही समीक्षा करने का आग्रह किया है. उनका कहना है कि कसाब और असीम में अंतर होना चाहिए.
श्रीमती सोनी ने एक मुलाकात में कहा कि देशद्रोह कानून 150 साल पुराना है. उसमें अंग्रेजों ने अपने हिसाब से प्रावधान किये थे. आजादी के बाद भी वह कानून चला आ रहा है. उस वक्त देशद्रोह करने वाले अलग थे और आज देशद्रोह करने वाले अलग है. उनका कहना है कि अपने देश में अभिव्यक्ति की आजादी की स्वतंत्रता है. यदि कोई अपनी भावना का इजहार करता है तो उसे देशद्रोही नहीं कहा जा सकता. देशद्रोह के कानून को तो विदेशियों के लिए रहने दिया जाए. कसाब और असीम के बीच अंतर तो होना चाहिए. श्रीमति सोनी ने बताया कि मीडिया पर गठित मंत्रिसमूह में उन्होंने अपनी बात रखी जिसपर वित्तमंत्री पी चिदम्बरम ने सहमति व्यक्त कर दी है.
उनकी सहमति के बाद ही में मैंने जीओएम को पत्र लिखकर उन बिंदुओं को उठाया है जिनकी समीक्षा की जानी चाहिए. उनके मुताबिक आईपीसी की धारा 124 ए में संशोधन किया जाए ताकि देशवासियों और विदेशी में फर्क हो उनके कृत्यों के हिसाब से कानूनी कार्यवाही हो. इसी धारा में देशद्रोह को परिभाषित किया गया है. चूंकि चिदम्बरम स्वयं गृहमंत्री रह चुके हैं और इस कानून की जानकारी है. उनके समय ही डा. बिनायक सेन को नक्सलियों की मदद करने के जुर्म में उम्र कैद की सजा सुनायी गयी थी. वह भी इस कानून को संशोधित करने के पक्ष है. श्रीमती सोनी के पत्र को जीओएम की अगली बैठक में पेश किया जाएगा. उस पर विचार विमर्श करने के बाद आगे की कार्यवाही की जाएगी.
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