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बुधवार, 5 सितंबर 2012

कई मामले तो पुलिस दर्ज ही नहीं करते.


बिहार में पिछले एक वर्ष के दौरान बढ़ी आपराधिक घटनाओं से जहां आम लोग सकते में हैं, वहीं विपक्षी दलों को भी बैठे-बैठाए एक बड़ा मुद्दा हाथ लग गया है।

बिहार में आपराधिक घटनाओं की वृद्धि का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पिछले सात महीनों में अपराध के ग्राफ  में करीब 25 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। आंकड़े बताते हैं कि यहां हत्या के मामले तो बढे़ ही हैं, महिलाओं के साथ र्दुव्‍यवहार के बाद दुष्कर्म की घटनाओं में भी वृद्धि हुई है जो यहां के लिए नया 'ट्रेंड' माना जा रहा है।

बिहार में इस वर्ष में संज्ञेय अपराध के 11,554 मामले सामने आए, जबकि जुलाई, 2012 में अपराधियों ने 14,425 संज्ञेय अपराध को अंजाम दिया। इस वर्ष जुलाई तक राज्य के विभिन्न थानों में अपराध के कुल 94,188 मामले दर्ज हुए हैं, जबकि पिछले वर्ष पहले सात महीने (जनवरी से जुलाई तक) में 13,338 मामले दर्ज किए गए थे। ये आंकड़े सरकारी खाते में दर्ज हैं, मगर गैर सरकारी सूत्र इस तादाद को और अधिक बता रहे हैं। हत्या के मामलों में वृद्धि से पुलिस के अधिकारी भी सकते में हैं।

आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष के पहले महीने यानी जनवरी में हत्या के कुल 227 मामले सामने आए थे, जबकि जुलाई में यह संख्या बढ़कर 317 तक जा पहुंची। इस वर्ष पहले सात महीने के दौरान राज्य में 2,182 लोगों की हत्या की गई है। ऐसे में अब विपक्ष मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के 'अमन चैन' और 'सुशासन' वाले बहुप्रचारित दावे की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न् खड़ाकर सत्तारचित भ्रमजाल को तोड़ने का प्रयास करने लगा है।
विपक्षी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के महासचिव और सांसद रामकृपाल यादव कहते हैं कि मुख्यमंत्री का अमन-चैन का दावा खोखला है। वह जनता का भ्रमित कर रहे हैं, लेकिन अब अपराधिक घटनाओं में वृद्धि ने उनकी सरकार की पोल खोल दी है। वह कहते हैं कि आज राज्य में दुष्कर्म की घटनाओं में वृद्धि के कारण महिला संगठनों को राजधानी की सड़कों पर आंदोलन के लिए उतरना पड़ रहा है। 

यादव कहते हैं कि राज्य के अन्य जगहों की कौन कहे, राजधानी पटना में भी आपराधिक घटनाओं का ग्राफ  लगातार ऊपर चढ़ता जा रहा है। कार्रवाई के नाम पर सिर्फ पुलिसकर्मियों के तबादले हो रहे हैं। वे आरोप लगाते हैं कि मुख्यमंत्री की यात्रा होती है, लेकिन इस यात्रा के दौरान पुलिस का तामझाम किसी राजसी सुरक्षा व्यवस्था से कम आलीशान नहीं होता। वह कहते हैं कि वास्तविकता यही है कि जनता अपराधों से त्रस्त है। उन्होंने सरकारी आंकड़े का हवाला देते हुए कहा कि राजधानी पटना में पिछले सात महीने में किसी भी जिले से ज्यादा 8,788 अपराध के मामले दर्ज हुए हैं। उन्होंने कहा कि कई मामले तो यहां पुलिस दर्ज ही नहीं करते।

राज्य के पुलिस महानिदेशक अभयानंद कहते हैं कि आर्थिक अपराध रोकने के लिए जैसी पहल की गई है, वैसी पहले कभी नहीं की गई थी। हत्या जैसे मामलों में वैज्ञानिक अनुसंधानों पर जोर दिया जा रहा है। वह कहते हैं आंकड़ों को ज्यादा तरजीह नहीं दी जानी चाहिए, अपराध होते हैं तो अपराधियों को पकड़ने में पुलिस कोई कोर कसर नहीं छोड़ती। बकौल अभयानंद, ''जमानत पर रहकर अपराध कर रहे अपराधियों पर भी कानूनी कारवाई की जा रही है।''  मुख्यमंत्री ने पुलिस के सभी आला अधिकारियों के साथ बैठक कर किसी भी हाल में आपराधिक घटनाओं पर लगाम लगाने का निर्देश दिया था। 

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