केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री मुकुल वासनिक ने बुधवार को कहा कि बिहार में अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोगों के खिलाफ लम्बित मामलों को जल्द निष्पादित करने की जरूरत है। वासनिक के मुताबिक बिहार में प्रतिवर्ष करीब 3800 मामले दर्ज होते हैं, जो एक चिन्ता की बात है।
पटना में अनुसूचित जाति और जनजाति अत्याचार के मामलों की समीक्षा बैठक के बाद पत्रकारों से चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि बिहार में लम्बित मामलों के जल्द निष्पादन के लिए विशेष अदालत की स्थापना की दरकार पड़ने पर केन्द्र सरकार द्वारा राज्य सरकार को मदद की जाएगी।
वासनिक ने कहा कि बिहार में लगातार अनुसूचित जाति एवं जनजाति पर अत्याचार के दर्ज हो रहे मामलों में वृद्घि हुई है, जो चिंता की बात है।
उन्होंने कहा कि 2002 में राज्य में अत्याचार के जहां 1,493 मामले दर्ज हुए थे वहीं 2011 में 3,730 मामले दर्ज किए गए हैं। उन्होंने आंकडे का हवाला देते हुए कहा कि बिहार में 2011 तक कुल 9,800 मामले लम्बित हैं। वासनिक ने राज्य सरकार को सलाह देते हुए कहा कि राज्य सरकार को दलितों और आदिवासियों पर अत्याचार के मामलों में संवेदनशीलता बरतनी चाहिए। उन्होंने स्पष्ट कहा कि दलितों के लिए खतरा बनने वाले दबगों को न केवल जिलाबदर करने की जरूरत है बल्कि उनके हथियार के अनुज्ञप्ति को भी रद्द किया जाना चाहिए। उन्होंने उन इलाकों में अनुसूचित जाति एवं जनजाति संख्या अधिक है वैसे क्षेत्रों में पुलिस और अधिकारियों में दलित समुदाय को प्रतिनिधित्व देने के भी सुझाव दिए।
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