मोबाइल टेलीफोन टावरों से विकिरण उत्सर्जन शनिवार यानी 1 सितंबर से मौजूदा स्तर से घटकर दसवां हिस्सा रह जाएगा। इससे मोबाइल टावरों से निकलने वाली विकिरणों से आम लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर संबंधी चिंताएं दूर होने का अनुमान है।
किसी भी टावर (दो एंटिना वाले) की आवासीय भवन से दूरी कम से कम 35 मीटर रखनी होगी। देश भर में सात लाख से अधिक टावर हैं। सरकार के नये दिशा निर्देशों के अनुसार घरेलू कारखानों में बने या आयातित होने वाले हैंडसेट की भी इस मामले क्षमता घटानी होगी।
दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा है कि इन मानकों का अनुपालन नहीं करने पर प्रति टावर पांच लाख रुपैये तक का जुर्माना लगेगा। उन्होंने कहा कि आम लोगों का स्वास्थ्य पहले आता है। प्रौद्योगिकी अंगीकार करनी होगी लेकिन जनस्वास्थ्य पहले आता है।
कल से नये ईएमएफ (इलेक्ट्रोमेग्नेटिक फ्रीकवेंसी रेडिएशन एक्सपोजर) लिमिट मौजूदा सीमा का दसवां हिस्सा (1:10) रह जाएगी। इसी तरह मोबाइल हैंडसेट की समावेशी दर (एसएआर) भी अब 1.6 वाट प्रति किलो होगी जो प्रति ग्राम मानव उत्तक पर आंकी जाती है। मंत्री ने कहा कि कंपनियों को भंडार के मौजूदा हैंडसेटों को इसके अनुपालन लायक बनाने के लिए एक साल का समय दिया गया है। नये हैंडसेट नियमों का पालन करने वाले ही होने चाहिए। इसके साथ ही मोबाइल उपयोक्ताओं को मोबाइल को शरीर से दूर रखने के लिए ब्लूटुथ तथा तार वाले स्पीकर आदि का इस्तेमाल करने की सलाह दी गई है। सिब्बल ने कहा है कि नये एसएआर मानकों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए टेलीग्राफ एक्ट में संशोधन किया जाएगा।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें