कोल ब्लॉक आवंटन मामले पर संसद में हंगामा जारी है। सोमवार को लोकसभा और राज्य सभा की कार्यवाही शुरू होते ही हंगामा शुरू हो गया जिसके बाद सदन के दोनों कार्यवाही 12 बजे तक स्थगित करनी पड़ी। सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू हुई तो विपक्षी दलों के सांसदों ने 'प्रधानमंत्री इस्तीफा दो' के नारे लगाने शुरू कर दिए।
हंगामे के चलते राज्यसभा की कार्यवाही दो बजे तक स्थगित कर दी गई लेकिन लोकसभा में सरकार ने बिना बहस कराए तीन बिल पारित करा लिए हैं। ये बिल हैं- नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया अमेंडमेंट बिल, सेक्सुअल हरासमेंट ऑफ वीमेन एट वर्कप्लेस बिल और नॉर्थ इस्टर्न रीजन्स (रिकॉगनिशन) एमेंडमेंट बिल। इसके बाद लोकसभा की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई।
इससे पहले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सोमवार सुबह राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात की। संसद की कार्यवाही नहीं चल पाने के मुद्दे पर प्रधानमंत्री सोमवार को यूपीए के नेताओं के साथ भी बैठक करेंगे। सरकार की चिंता संसद ठप होने के कारण अटके बिलों को लेकर है। मानसून सत्र में सिर्फ सात दिन शेष हैं और सरकार को कई महत्वपूर्ण बिल पास करवाने हैं।
बीजेपी ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। बीजेपी ने सोमवार को कहा कि कांग्रेस 'कोयला घोटाला' से जुड़ी सच्चाई छिपाने की कोशिश कर रही है और इसी कोशिश के तहत कोयला मंत्रालय के जुड़े सभी सवाल संसद की वेबसाइट से हटा लिए गए हैं। बीजेपी प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि सरकार ने उन सवालों को वेबसाइट से हटा दिया है जिसमें सरकार ने कबूल किया था कि जिन स्टील और पावर प्लांट्स को कोल ब्लॉक आवंटित किए गए हैं, उन्होंने प्रोडक्शन शुरू नहीं किया है। बीजेपी इस सिलसिले में राज्यसभा के चेयरमैन के पास शिकायत दर्ज करेगी।
अंतर-मंत्रालय समूह (आईएमजी) की आज बैठक हो रही है। इसमें विवादित 58 कोयला ब्लॉकों पर फैसला लिया जाएगा। कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने कहा, 'अब तक किसी भी कोयला ब्लॉक आवंटन को रद्द नहीं किया गया है। आईएमजी की रिपोर्ट के आधार पर गलत तरीके से किए गए आवंटन और जिन ब्लॉकों में उत्पादन शुरू नहीं हुआ है, उनके आवंटन रद्द हो सकते हैं। भले ही उनकी संख्या कितनी भी हो।' सरकार 33 सरकारी और 25 प्राइवेट संस्थाओं को आवंटन रद्द करने का नोटिस भेज चुकी है। इसके बावजूद कोयला मंत्रालय 17 कोयला ब्लॉक्स से उत्पादन सुनिश्चित करना चाहता है। आठ ब्लॉक ऐसे हैं जिनसे इसी वित्त वर्ष में उत्पादन शुरू होना है। कोयला आवंटन मामले की जांच कर रहे अंतर मंत्री समूह के एक सदस्य ने संकेत दिया है कि सभी आवंटन रद्द करना मुश्किल है। हां, जिनके खिलाफ आधार बनता है वे आवंटन रद्द हो सकते हैं। इस सदस्य ने कहा कि अगर सारे आवंटन रद्द किए गए तो यह मामला अदालत जा सकता है, जहां सरकार के पास अपना पक्ष रखने के लिए बहुत कुछ नहीं है।
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