सांची में बौद्ध विश्वविद्यालय. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 21 सितंबर 2012

सांची में बौद्ध विश्वविद्यालय.


विश्व में शांति और सद्भाव का संदेश देने के लिए मध्य प्रदेश के सांची में दुनिया के पहले बौद्ध तथा भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय की आधारशिला शुक्रवार को रखी गई। इस अवसर पर श्रीलंका के राष्ट्रपति महिन्दा राजपक्षे, भूटान के प्रधानमंत्री जिग्मे वाय़  थिनले, मध्य प्रदेश के राज्यपाल रामनरेश यादव और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मौजूद थे। 

राजपक्षे और थिनले ने शिलान्यास-स्थल पर श्रीलंका से लाए गए बोधिवृक्ष का पौधा भी रोपा। अतिथियों ने श्रीलंका की विशेष ईंटों से आधार-शिला रखी। इन विशेष ईंटों में श्रीलंका से लाई गई पंच धातु, वनस्पतियां, वन औषधियां तथा अन्य शुभ माने जाने वाले पदार्थ रखे गए हैं। कार्यक्रम में सम्पूर्ण विधि-विधान से सनातन परम्परा तथा बौद्ध विधि से शिलान्यास किया गया।

राज्यपाल ने सांची बौद्ध एवं भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय के शिलान्यास की विधिवत घोषणा की। इस मौके पर चौहान के अतिरिक्त प्रकाश अम्बेडकर, स्वामी परमात्मानंद सरस्वती और वेन बानगल उपतिस्स नायक थेरो, उच्च शिक्षा मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा भी उपस्थित थे। इस अवसर पर श्रीलंका से आए सांस्कृतिक दल ने मृदंग तथा मध्य प्रदेश के सांस्कृतिक दल ने शंख ध्वनि के सामूहिक नाद से वातावरण को उमंग और उत्साह से भर दिया।

विश्व धरोहर बौद्ध स्तूप के लिए प्रसिद्ध सांची में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा स्थापित किए जा रहे इस विश्वविद्यालय के लिए 1०० एकड़ भूमि आरक्षित की गई है। इस पर दो चरण में लगभग 3०० करोड़ रुपये खर्च होंगे। विश्वविद्यालय धम्म के सिद्धान्त, बौद्ध शिक्षण, समसामयिक दर्शन एवं परम्पराओं की शिक्षा प्रदान करेगा। यह प्राचीन भारतीय विचार और एशिया के विभिन्न देशों में विस्तार ले रही बौद्ध संस्कृति के मध्य वैचारिक सम्बंधों को प्रोत्साहित करने का कार्य करेगा।

राज्य सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि शिक्षा की वैकल्पिक पद्धतियों के परिप्रेक्ष्य में भारत की शिक्षा प्रणाली में सुधार और एशिया के कला-शिल्प और कौशल में शिक्षण-प्रशिक्षण का कार्य भी विश्वविद्यालय करेगा। विश्वविद्यालय में बौद्ध और भारतीय ज्ञान एवं संस्कृति पर एक पुस्तकालय की स्थापना की जाएगी, जो भौतिक और डिजिटल स्वरूप में सम्बंधित साहित्य उपलब्ध कराएगा। विश्वविद्यालय में पांच अध्ययन केंद्र होंगे, जिनमें बौद्ध दर्शन शाखा, सनातन धर्म और भारतीय ज्ञान अध्ययन शाखा, अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध अध्ययन शाखा, तुलनात्मक धमरे की शाखा, भाषा, साहित्य और कला की शाखा रहेंगी।

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