दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) और दिल्ली पुलिस से यह सुनिश्चित कराने के लिए कहा कि परिसर में 28 सितम्बर को गोमांस और सूअर मांस महोत्सव न होने पाए। विश्वविद्यालय के छात्रों के एक संगठन ने 28 सितम्बर को गोमांस और सूअर मांस महोत्सव आयोजित करने की योजना घोषित की थी। कार्यवाहक न्यायाधीश ए.के. सीकरी और न्यायमूर्ति राजीव सहाय एंडला की खण्डपीठ ने कहा, "जेएनयू और पुलिस को यह सुनिश्चित कराने का निर्देश दिया जाता है कि 28 सितम्बर को और भविष्य में कोई भी गोमांस व सूअर मांस महोत्सव न होने पाए।"
न्यायालय का यह निर्देश राष्ट्रीय गोरक्षा सेना की एक याचिका पर सामने आया है। इस संस्था ने याचिका में जेएनयू को यह निर्देश देने की मांग की थी कि छात्र संगठनों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए और गोमांस व सूअर मांस या कोई भी ऐसी चीज परोसने की अनुमति न दी जाए, जिससे लोगों की भावनाएं आहत हों।
प्रस्तावित गोमांस व सूअर मांस महोत्सव को लेकर दक्षिणपंथी संगठनों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। उसके बाद जेएनयू प्रशासन ने 17 सितम्बर को किसी भी तरह की गड़बड़ी रोकने के लिए हस्तक्षेप किया और विद्यार्थियों को इस तरह के किसी आयोजन के खिलाफ चेतावनी दी। केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता राजीव मेहरा ने जेएनयू की ओर जारी एक सर्कुलर अदालत में पेश किया, जिसमें विद्यार्थियों को परिसर में गोमांस लाने, खाने या पकाने के खिलाफ चेतावनी दी गई है। इस बारे में गोवध निरोधी कानून का हवाला दिया गया है।
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